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भक्तों के जयकारों से वंदनीय हो गई तलहटी

मथुरा (गोवर्धन): गोवर्धन 21 किलोमीटर परिक्रमा में लगातार बह रही भक्ति की रसधार और गिरिराज महाराज के

By Edited By: Published: Mon, 06 Jul 2015 11:44 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2015 11:44 PM (IST)
भक्तों के जयकारों से वंदनीय हो गई तलहटी

मथुरा (गोवर्धन): गोवर्धन 21 किलोमीटर परिक्रमा में लगातार बह रही भक्ति की रसधार और गिरिराज महाराज के जयकारों से गोवर्धन वंदनीय हो गया है। भक्ति की सुगंध से गलियां महक रही हैं। विभिन्न प्रांतों से आए श्रद्धालुओं ने गोवर्धन को अलौकिक बना दिया है। तलहटी तो आस्था का केंद्र बन गई है। एक बार अपने प्रभु का नाम लेकर परिक्रमा शुरू की तो कदम मंजिल पर पहुंचकर ही दम लेते हैं। राधे-कृष्णा के जयघोष के साथ ही थकावट दूर हो जाती है। तमाम परेशानियां गोवर्धन धरा पर पहुंचते ही दूर हो जाती हैं। रज को स्पर्श कर अपने को धन्य समझ रहे श्रद्धालुओं की आस्था को मापना किसी के हाथ में नहीं हैं।

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मौतों को देखते रहे बेबस फब्बारे

अधिकमास मेला व्यवस्थाओं से दूरी बनाए नगर पंचायत गोवर्धन रविवार को कुंभकर्णीय नींद से जागता दिखाई दिया। फब्बारे को सुरक्षा प्रदान करने के लिए मानसी गंगा के घाटों पर फब्बारे लगाए गए हैं। स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के कारण मेला के उन्नीसवें दिन भी फब्बारे चालू नहीं किए गए। फब्बारे की बेबसी ने मानसीगंगा में कई श्रद्धालुओं की जान ले ली। फब्बारों को शुरू किए बिना मानसी गंगा के घाटों पर बेडीके¨डग लगाना औचित्यहीन नजर आ रहा है। डीग अड्डा, मानसीगंगा, मुकुट मुखार¨वद मंदिर के समीप आदि दर्जनों स्थल पर गंदगी तलहटी की तस्वीर को बदरंग करने पर उतारू हैं। जाम से जाम हुआ गोवर्धन गिरिराज की नगरी में मथुरा मार्ग पर घंटों लंबा जाम लगा रहा और श्रद्धालु कराहते रहे। परंतु पुलिस प्रशासन ने जाम खुलवाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। मथुरा मार्ग पर जाम के हालात ने मेला क्षेत्र को जाम की जद में ले लिया। राधाकुंड एवं कुसुम सरोवर में गहराई होने के बावजूद श्रद्धालुओं की सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। उक्त कुंडों पर गोताखारों की तैनाती नहीं होना प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा करती है।

अधिक मास में अनुष्ठानों की धूम

वृंदावन: अधिक मास में श्रीधाम आए श्रद्धालुओं द्वारा मंदिरों के दर्शन और परिक्रमा के अलावा आश्रमों में श्रीमद्भागवत कथाओं का आयोजन किया गया। कई स्थानों पर सोमवार को भागवत कथाओं के समापन के बाद साधु सेवा की गई। सुदामा कुटी के महंत सुतीक्ष्ण दास ने बताया कि पुरुषोत्तम मास में भक्तों द्वारा भागवत, भक्तमाल कथा और श्रीराम कथाओं का आयोजन लगातार कराया जा रहा है। इसके बाद ब्राह्माण और साधुओं को भोज कराया जाना शास्त्रों में आवश्यक माना गया है। सेवायतों ने बताया कि अधिकांश श्रद्धालु मंदिरों की परिक्रमा करते हैं। जब सैकड़ों की संख्या में लोग रोजाना सुबह और शाम को पंचकोसी परिक्रमा लगाते हैं।

तेज होती जा रही आस्था की बयार

मथुरा : अधिक मास में आस्था की बयार रुकने का नाम नहीं ले रही है। सुधबुध खोए श्रद्धालु प्रभु की भक्ति में झूम रहे हैं। श्रीकृष्ण जन्मस्थान और द्वारिकाधीश मंदिर में पट खुलने से पहले ही श्रद्धालु पहुंच जाते हैं। विश्रामघाट पर स्नान करने को श्रद्धालुओं का तांता लग रहा है। जगह-जगह धार्मिक आयोजन और साधु सेवा की जा रही है। गताश्रम टीला श्रीजी मंदिर पर श्रीविद्या पीठ पर हवन, यज्ञ का आयोजन किया गया। इस दौरान भोला बाबा, कामेश्वरनाथ चतुर्वेदी, मुरलीधर शास्त्री, गोपाल शास्त्री, बनवारीबाबा आदि उपस्थित थे।


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