28 में से आठ घाटों का ही अस्तित्व
जागरण संवाददाता, मथुरा (वृंदावन): यहां यमुना के घाट कान्हा, राधा रानी और गोप-गोपियों की लीलाओं के सा
जागरण संवाददाता, मथुरा (वृंदावन): यहां यमुना के घाट कान्हा, राधा रानी और गोप-गोपियों की लीलाओं के साक्षी हैं। इनका धार्मिक और पुरातात्विक महत्व भी है, लेकिन सरकारी महकमों की देख-रेख की कमी और अतिक्रमणों की वजह से वृंदावन यमुना तीरे 28 घाटों में से अधिकतर विलुप्त हो गए हैं। श्रद्धालुओं को यमुना जल का पान और पूजा-पाठ करने में दिक्कत आ रही हैं। दूसरी तरफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की मनाही के बाद भी यमुना में फूल-मालाएं प्रवाहित करने का सिलसिला थमा नहीं है।
यमुना जी के घाट विलुप्त हो रहे हैं तो प्रदूषण की भयावहता भी थमने का नाम नहीं ले रही। बीते साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी जाकर गंगा की सफाई की तो यहां भी अनेक समाजसेवियों और देसी-विदेशी श्रद्धालुओं को यमुना जी की साफ-सफाई का ख्याल आया। दिखावे के लिए ही सही सफाई शुरू हुई, लेकिन यह सिलसिला अधिक दिन नहीं चला। धार्मिक ग्रंथों में यमुना जी के जिन घाटों का जिक्र है, मौके पर श्रद्धालु उन्हें ढूंढते रह जाते हैं। यमुना जी के घाट अतिक्रमणों के कारण विलुप्त हो गए हैं।
केसीघाट को छोड़ अधिकतर घाट विलुप्त
मान्यता है कि वृंदावन में यमुना किनारे 28 घाट हैं। लेकिन वास्तविक दृष्टि से सिर्फ केसीघाट का ही अस्तित्व बचा है। चीर घाट, जगन्नाथ घाट, कालीदह, बिहार घाट, पानीघाट, इमलीतला, युगल घाट का मौके पर अस्तित्व है लेकिन अधिक नहीं। इन आठ घाटों पर श्रद्धालु स्नान और पूजा-पाठ करने आते हैं। नाविक भी बो¨टग कराने के लिए खड़े रहते हैं, लेकिन यमुना जी के बाकी घाट कहीं नजर नहीं आते। श्री वराहघाट, सूर्य घाट, श्रीआंधेरघाट, श्रृंगारघाट, गो¨वद घाट, धीरसमीरघाट, श्रीराधाबागघाट, बद्रीघाट, राजघाट, हनुमान घाट आदि केवल पौराणिक किताबों में ही बचे हैं।
यमुना में फूल-मालाएं फेंकने से कौन रोके
एनजीटी ने पिछले साल अपने एक आदेश में यमुना में फूल-मालाएं आदि प्रवाहित करने पर रोक लगा दी थी। प्रवाहित करने वालों से जुर्माने की वसूली का भी प्रावधान किया गया था। लेकिन इस पर रोक नहीं लगी और न ही फूल-माला प्रवाहित करने वालों से जुर्माने की वसूली ही होती है।