जलते रहेंगे खलिहान, रेंगती रहेंगी दमकलें
मनोज चौधरी, मथुरा: बीत गई सो बात गई। यह हमारी कहावत है तो हमने जरूरी कामों में भी अपनी दिनचर्या में
मनोज चौधरी, मथुरा: बीत गई सो बात गई। यह हमारी कहावत है तो हमने जरूरी कामों में भी अपनी दिनचर्या में अपना लिया है। गंभीर दुर्घटनाओं से भी सबक नहीं लेते। अग्निशमन इंतजामों में ऐसी लापरवाही बड़ी मुश्किल कर सकती है। पिछले साल शेरगढ़ क्षेत्र के गांव बाबूगढ़ के सत्तर से अधिक घरों में भड़के शोलों को ठंडा करने में दमकलें 'पानी' मांग गई थीं। पहले से हालात और ज्यादा खराब हुए हैं। इस साल अगर खलिहानों में आग लगी तो दमकलें रेंगती रहेंगी। दूरस्थ इलाके अकोस, बरसाना और बाजना पहुंचते-पहुंचते दमकलों को सिर्फ गर्म राख का ढेर ही मिल पाएगा।
चटक धूप निकलते ही कहीं से उड़ी एक चिंगारी को शोला बनने में देर नहीं लगेगी। यह पिछले साल के 15 अप्रैल से 15 जून के बीच अग्निकांडों का ही समय रहेगा। पिछले साल 558 स्थानों पर लगी आग में दो इंसान मारे गए और करीब चार करोड़ से ज्यादा की संपत्ति राख में तब्दील हो गई थी। ग्यारह करोड़ से अधिक की संपत्ति को जलने से बचाया गया। इस बार के बदले हालात में दमकलें निर्धारित 40 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार भी शहर और देहात की सड़कों पर नहीं पकड़ पाएंगी। फायर चालकों के अनुसार, गांवों में 10-15 किमी तो शहर में बमुश्किल 20 किमी से अधिक गति से गाड़ियां नहीं चल पा रही है। वजह साफ है। जर्जर सड़कें, बेकाबू यातायात और सड़कों पर फैला अतिक्रमण।
शहर और गांव में पानी नहीं
शहर में पानी हाइड्रेंट प्वाइंट कागजों में हैं। वक्त पर बिजली नहीं आई तो ट्यूबवेल पर पानी भरने के लिए जेनरेटर नहीं है। गांवों में तालाब सूख रहे हैं। करीब एक दशक से फायर ब्रिगेड पानी की समस्या से जूझ रही है।
दूरी कम, चक्कर लंबा
भूतेश्वर फायर स्टेशन से वृंदावन के लिए छटीकरा और गोकुल रेस्टोरेंट से मसानी, लक्ष्मी नगर जमुनापार के लिए हाईवे से गोकुल बैराज होते हुए, बाजना को शेरगढ़ और बरसाना के लिए छाता, गोवर्धन होकर जाना पड़ रहा है। भूतेश्वर मुख्यालय से करीब 50-60 किलोमीटर की दूरी दमकल जर्जर सड़कों पर डेढ़ से दो घंटे में तय कर रही हैं।
ये हैं संसाधन
- भूतेश्वर स्टेशन-4 फायर टेंडर और दो पोर्टेबल पंप
-कोसीकलां और मांट स्टेशन- एक फायर टेंडर और एक पोर्टेबल पंप
क्षमता: आठ हजार लीटर, पांच हजार लीटर और पांच सौ लीटर
कर्मचारी:14 हेडकांस्टेबल, 12 चालक, 31 कांस्टेबल
होमगार्ड:मुख्यालय समेत दो फायर स्टेशनों पर 10-10 होमगार्ड, ड्यूटी पर पहुंच रहे सात-आठ
खामियां
-बड़ी बिल्डिंग के लिए 30 फीट से अधिक की सीढ़ी नहीं हैं।
-हेडकांस्टेबल, कांस्टेबिल और चालकों की कमी है।
-सरकारी और गैर सरकारी प्रतिष्ठान में लगे उपकरण घटिया और बेकार हैं, जो अब तक के रिकार्ड के अनुसार, आग लगने पर फायर बिग्रेड के कभी काम नहीं आए।
आग लगने के कारण
तापक्रम 45-46 डिग्री सेल्सियस के पहुंचने पर देहात में जर्जर विद्युत तार टूट कर गिर रहे हैं। कोसी, छाता, शेरगढ़ इलाके में खेतों में आग लगाई जा रही है। पिछले साल ज्यादातर अग्निकांडों का यही कारण रहे थे। मड़ाई के दौरान ट्रैक्टर की स्पार्किंग, सुलगती बीड़ी और गर्म राख फेंकने से भी बुर्जी, बिटोरें और खलिहान में आग लगती है। सावधानी से हादसे टाले जा सकते हैं।
गर्मियों के मौसम में लगने वाली आग पर काबू पाने के लिए फायर बिग्रेड ने पहले से इंतजाम कर लिए हैं। सभी स्टेशन सतर्क हैं। स्टेशन से एक मिनट में गाड़ियां सूचना मिलने पर टर्न आउट करा दी जाएंगी।
दीपक शर्मा
मुख्य अग्निशमन अधिकारी।