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टीटीजेड में ग्रीन फ्यूल पर केंद्र गंभीर नहीं

जागरण संवाददाता, मथुरा: मथुरा में सीएनजी की डिमांड इस समय बीस हजार स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर (एससीएम) प

By Edited By: Published: Sun, 29 Mar 2015 11:44 PM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2015 11:44 PM (IST)
टीटीजेड में ग्रीन फ्यूल पर केंद्र गंभीर नहीं

जागरण संवाददाता, मथुरा: मथुरा में सीएनजी की डिमांड इस समय बीस हजार स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर (एससीएम) प्रतिदिन की है। अगले तीन महीने में यह और बढ़ सकती है, बशर्ते मंडलायुक्त ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के आदेश को लागू करते हुए सीएनजी वाहनों के परमिट खोल दें।

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ताज ट्रिपेजियम जोन (टीटीजेड) में शामिल होने के बावजूद आगरा और फीरोजाबाद के मुकाबले मथुरा सस्ती सीएनजी गैस केंद्र सरकार से हासिल नहीं कर पाया है। इसके बावजूद जिले में सीएनजी की डिमांड लगातार बढ़ रही है। पिछले महीने तक यह 19 हजार एससीएम प्रतिदिन थी। मगर इस महीने एक हजार एससीएम प्रतिदिन बढ़ गई।

केंद्र सरकार अंतरराष्ट्रीय बाजार में सीएनजी के दाम कम होने के कारण आने वाले समय में नौ फीसद की कमी लाने वाली है। केंद्र सरकार के ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने आगामी 31 जुलाई तक डीजल से संचालित सार्वजनिक वाहनों को पूरी तरह प्रतिबंधित करने और पुराने वाहनों में सीएनजी किट लगाने के आदेश दिए हैं।

इससे सीएनजी की खपत जिले में गति पकड़ सकती है, लेकिन मंडलायुक्त ने अभी सीएनजी आधारित सार्वजनिक वाहनों के परमिट देना शुरू नहीं किया है। सूत्रों के अनुसार यह कभी भी शुरू हो सकता है।

मथुरा में इस समय सीएनजी के तीन स्टेशन संचालित हैं। चौथा स्टेशन जल्द ही रिफाइनरी के पास शुरू होने वाला है। 30 जून तक मथुरा-राया रोड पर दो और एक स्टेशन वृंदावन-छटीकरा मोड़ से लेकर केडी डेंटल कॉलेज के मध्य शुरू होने जा रहा है। जाहिर है कि सीएनजी की आपूर्ति में मथुरा तेजी से अग्रसर हो सकता है।

सांवरिया गैस के प्रबंध निदेशक एचपी सिंह बताते हैं कि केंद्र सरकार ने दरों में नौ फीसद की कमी की, तो मथुरा में एक रुपया प्रति किलो कम हो जाएंगे। अगले छह से आठ माह के बीच आगरा और फीरोजाबाद की तरह 50 रुपये प्रति किलो की दर पर सीएनजी मिलने लगेगी।

सांसद कर रही हैं पैरवी

सांसद हेमा मालिनी ने केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय और वित्त मंत्री अरुण जेतली को टीटीजेड में मथुरा को सस्ती सीएनजी सप्लाई के लिए पत्र लिखा है। वित्त मंत्री ने जल्द विचार करने का जवाबी पत्र भेजा है। दरअसल आगरा और फीरोजाबाद में साल 2002 से सस्ती सीएनजी मिल रही है, जबकि मथुरा में यह उपलब्ध नहीं है।

कोयले पर उप्र सरकार मेहरबान

उप्र सरकार का दोहरा रवैया मथुरा में सस्ती सीएनजी की राह में रोड़ा बना है। पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले कोयला पर उप्र सरकार मात्र 4 फीसद टैक्स ले रही है, जबकि ग्रीन फ्यूल में शामिल सीएनजी पर 26 फीसद टैक्स है। केंद्र से सस्ती गैस मिले और प्रदेश सरकार का टैक्स घटे तो यहां के उद्योगों को सीएनजी आधारित किया जा सकता है। कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता प्रदीप माथुर के अनुसार यहां पांच हजार उद्योग सीएनजी पर संचालित हो सकते हैं, लेकिन शासन ध्यान नहीं दे रहा है।


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