किसानों का दर्द, प्रशासन बना बेदर्द
जागरण संवाददाता, मथुरा: प्रकृति की मार से कराह रहे किसान सदमे से दम तोड़ रहे हैं। उनकी होली की खुशिया
जागरण संवाददाता, मथुरा: प्रकृति की मार से कराह रहे किसान सदमे से दम तोड़ रहे हैं। उनकी होली की खुशियां काफूर हो गई हैं, लेकिन प्रशासन को कुदरत की ये मार मामूली महसूस हो रही है। प्रशासन के आंकलन में खेती का नुकसान महज 33 फीसद ही निकल कर आया है, जबकि किसान फसलों में आधे से ज्यादा को नुकसान मान रहे हैं। प्रशासन द्वारा 50 प्रतिशत से कम नुकसान दर्शाने पर धरती पुत्रों को सरकारी इमदाद नहीं मिल पाएगी।
मुख्यमंत्री के आदेश पर जिले में नुकसान का प्राथमिक सर्वे कराया गया, मगर इस सर्वे में जिला प्रशासन के प्रतिनिधियों को खेती का नुकसान ही नहीं नजर आया। बुधवार को राजस्व विभाग द्वारा दिए गए आकलन में यह नुकसान सिर्फ 33 फीसद रहा तो कृषि विभाग की रिपोर्ट में यह नुकसान 30 फीसद के करीब भी नहीं है। ऐसे में 50 फीसद से कम ही दिखाई जा रही इस रिपोर्ट के आधार पर किसानों को सरकारी मदद मिलने की कोई उम्मीद नहीं है।
तहसीलों में नुकसान का आंकलन (राजस्व विभाग)
मथुरा - 30 फीसद
छाता - 30 फीसद
मांट - 40 फीसद
महावन - 25 फीसद
फसलों के नुकसान का आंकलन (कृषि विभाग)
गेंहू - बोया गया क्षेत्रफल 1,98,185 हेक्टेयर
प्रभावित क्षेत्रफल 1,52,515 हेक्टेयर
नुकसान 15 से 30 फीसद
जौ - बोया गया क्षेत्रफल 3,930 हेक्टेयर
प्रभावित क्षेत्रफल 3, 030 हेक्टेयर
नुकसान 10 से 15 फीसद
सरसों-राई - बोया गया क्षेत्रफल 47,240 हेक्टेयर
प्रभावित क्षेत्रफल 35,200 हेक्टेयर
नुकसान 10 से 20 फीसद
आलू - बोया गया क्षेत्रफल 17,800 हेक्टेयर
प्रभावित क्षेत्रफल 10,000 हेक्टेयर
नुकसान 15 से 20 फीसद
मसूर - बोया गया क्षेत्रफल 95 हेक्टेयर
प्रभावित क्षेत्रफल 80 हेक्टेयर
नुकसान 10 फीसद तक
मटर - बोया गया क्षेत्रफल 100 हेक्टेयर
प्रभावित क्षेत्रफल 80 हेक्टेयर
नुकसान 12 फीसद तक
चना - बोया गया क्षेत्रफल 110 हेक्टेयर
प्रभावित क्षेत्रफल 90 हेक्टेयर
नुकसान 12 फीसद तक।
इन्होंने कहा..
उपकृषि निदेशक राकेश बाबू गंगवार ने बताया कि नुकसान का यह सर्वे फौरी तौर पर है, जिसकी हमें तत्काल रिपोर्ट भेजनी थी। प्रत्येक किसान के खेत पर जाकर नुकसान का सर्वे अलग से किया जाएगा, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर ही मुआवजा मिलेगा। वैसे कोटवन क्षेत्र में फसलों को अधिक क्षति हुई है।
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घर बैठे नुकसान का सर्वे कर रहे लेखपाल
कोसीकला: दैवीय आपदा से त्रस्त किसान अब लेखपालों के सर्वे में लापरवाही बरतने से नाराज हैं। किसानों का आरोप है कि लेखपाल घर में बैठकर खानापूर्ति कर रहे हैं। एसडीएम सुरेंद्र सिंह ने गांव-गांव जाकर मौके का निरीक्षण करने के लिए लेखपालों को निर्देश दिए थे, लेकिन लेखपाल हैं कि मौके पर जाने की जरूरत नहीं समझ रहे। किसान उनसे फोन पर मौके पर आने की बात पूछते हैं तो लेखपाल का सीधा जवाब होता है कि उन्होंने मुआयना कर लिया है। या फिर वे देख लेंगे या उन्हें सबकुछ पता है।
गांव दहगांव में तहसील टीम या लेखपाल तक नहीं पहुंचे। पूर्व प्रधान कुंवरपाल सिंह ने बताया कि ग्रामीणों ने उनका पूरे दिन इंतजार किया। गांव पैगांव के मुरारी, राजवीर, बलवीर आदि किसानों ने बताया कि फसलों में आधे से ज्यादा नुकसान है, लेकिन लेखपाल या जांच टीम का अता पता नहीं है। गांव अजीजपुर व नगरिया दस बिसा में भी कुछ यही शिकायत मिली। रालोद नेता कुंवरचंद रावत ने कहा कि ऐसे में किसानों को कैसे उचित मुआवजा मिलेगा। इधर एसडीएम छाता सुरेंद्र सिंह ने लेखपालों द्वारा मौके पर जाकर निरीक्षण सुनिश्चित करने संबंधि दिशा- निर्देशों को दोहराया है।
कोटवन में हुआ सर्वे
ओलावृष्टि की चपेट में आए गांवों में से कोटवन का तहसील टीम द्वारा मौका मुआयना किए गया। पूर्व प्रधान जबर सिंह ने बताया कि तहसीलदार के नेतृत्व में टीम ने पहुंची और किसानों की बात सुनी।