फागुन में विलेन बने बादल
जागरण संवाददाता, मथुरा: ब्रज के फागुन की मस्ती में बादलों ने खलल डाला है। खेतों में गेहूं की फसल बिछ
जागरण संवाददाता, मथुरा: ब्रज के फागुन की मस्ती में बादलों ने खलल डाला है। खेतों में गेहूं की फसल बिछ गई, तो आलू और सरसों दहशत में आ गए। बसंती मौसम में काले-काले मेघों ने शीत ऋतु का अहसास करा दिया है। शीतल बयार फिर से नश्तर चुभोने लगी है। शनिवार देर शाम बिगड़ा मौसम का मिजाज दूसरे दिन रविवार तक ऐंठता रहा। जिसके कारण किसान दहशत में आ गए हैं।
मौसम की बाजीगरी इस बार किसान समझ नहीं पा रहे हैं। जब-जब वह आसमान की ओर देखते है, तो कलेजा फटने लगता है। काले-काले बादलों से टपकती बूंदें उनकी चिंता बढ़ा रही है। आलू की फसल की इस समय खुदाई चल रही है और सरसों पककर तैयार हो चुकी है। बारिश और हवा चलने से गेहूं की फसल भी खेतों में बिछ गई है। जिन खेतों में आलू की खुदाई हो रही है, वहां आलू पानी में धुल गया है, जिसके बाद अब सड़ने का डर सता रहा है। मिट्टी में दबे आलू को रोग लगने की आशंका बनी हुई है। वहीं, तैयार खड़ी सरसों की फलियां भीगने से उसमें पड़ा दाना खराब हो सकता है। बारिश के बाद धूप खिलने पर फली के चटकने और उसके दाने खेत में बिखरने का डर सता रहा है। नौहझील, सुरीर व बाजना क्षेत्र के भट्टों पर कच्ची ईटें गल गई हैं।
बहुत नुकसानदायक है ये रिमझिम
कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसके मिश्रा ने बताया कि यह बारिश गेहूं को छोड़ बाकी सभी फसलों के लिए नुकसानदायक है। यदि गेहूं में हाल ही में पानी दिया है, तो उसके गिरने का डर है। सरसों की फली पक चुकी है, बारिश की बूंदों से वह गीली पड़ जाएगी और सूखने पर उसके दाने जमीन में बिखर जाएंगे। इधर, आलू की खुदाई होने से आलू के सड़ने का डर है। इस बारिश से आलू के साइज पर फर्क पड़ेगा और उसमें धब्बा लगने का भी डर है।
छह डिग्री गिरा पारा, पांच एमएम बारिश
आसमान में बादलों के छाए रहने, बरसने और ठंडी हवा चलने से तापमान शनिवार की अपेक्षा छह डिग्री लुढ़क गया है। संभागीय कृषि परीक्षण केंद्र राया के प्रभारी श्यामसुंदर शर्मा ने बताया कि शनिवार को जहां न्यूनतम तापमान 15 और अधिकतम 26 डिग्री सेल्सियस था। वहीं, रविवार को यह घटकर न्यूनतम 12 और अधिकतम 20 डिग्री सेल्सियस ही रह गया। शनिवार रात से रविवार शाम तक पांच मिली बारिश दर्ज की गई।
बढ़ गया स्वाइन फ्लू का खतरा
मथुरा: शनिवार से बदले मौसम ने ठंड बढ़ा दी है। बारिश और ठंडी हवाएं चलने से तापमान में गिरावट हुई है, इससे स्वाइन फ्लू का वायरस फिर से पनपने की आशंका है। वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. सुधीर गर्ग ने बताया कि एन-1 एच-1 वायरस हल्की सर्दी के मौसम में ही अधिक फैलता है। ज्यादा सर्दी और अधिक गर्मी पड़ने पर इसका वायरस मर जाता है। फरवरी का महीना इसके लिए मुफीद माना जाता है। अब तापमान गिरने से वायरस के मजबूत होने की आशंका पैदा हो गई है।