टंचिंग ग्राउंड पर धधकते कूड़े के लिए लगाया सबमर्सिबल
जागरण संवाददाता, मथुरा: सालिड वेस्ट मैनेजमेंट में सीवेज फार्म स्थित कचरा प्लांट ढाई महीने से बंद पड़ा
जागरण संवाददाता, मथुरा: सालिड वेस्ट मैनेजमेंट में सीवेज फार्म स्थित कचरा प्लांट ढाई महीने से बंद पड़ा है और कूड़े के पहाड़ चालीस फुट ऊंचे हो चुके हैं। शहर के कचरे को पालिका डाले भी तो आखिर कहां डाले। अब पालिका ने कूड़े को ठंडा रखने के लिए सबमर्सिबल लगवा दिया है।
जेनर्म योजना में पीपीपी आधार पर काम कर रही मथुरा वेस्ट प्रोसेसिंग लिमिटेड ढाई महीने पहले काम छोड़कर जा चुकी है। करीब चार साल तक आधा-अधूरा काम करने के बाद कंपनी अपने कारणों से ही ठोस कचरा अपशिष्ट प्रबंधन को सुचारू रूप से लागू नहीं रख पायी।
इसका खामियाजा अब मथुरा नगर पालिका परिषद को भुगतना पड़ रहा है। नगर से रोजाना करीब साठ टन ठोस कूड़ा निकल रहा है, जिसका निस्तारण ट्रैंचिंग ग्राउंड पर ही किया जा रहा है। यहां प्लांट बंद होने से कूड़े के पहाड़ खड़े हो गए हैं और इनकी ऊंचाई चालीस फीट तक पहुंच चुकी है।
पालिका परिषद ने अपने डेढ़ दर्जन कर्मचारी लगाकर प्लांट को चलाने का प्रयास किया था, ताकि कुछ हद तक इसका निस्तारण होता रहे, लेकिन तकनीकी जानकारी के अभाव में कर्मचारी इसका संचालन जारी नहीं रख पाए। शुरू में कुछ दिन प्लांट चला जरूर, पर पूरी तरह कामयाबी नहीं मिल पायी, जिस कारण कर्मचारियों को वापस बुला लिया गया।
अब इस कचरे को जलाने के आरोप नगर पालिका प्रशासन झेल रहा है, जबकि हकीकत यह है कि न तो ठोस सिल्ट वाले कचरे को जलाया जा सकता है और न ही वह सुचारू रूप से आग पकड़ सकता है। यह दरअसल पालीथिन और अन्य केमिकली कचरा भी इसमें शामिल होने से अंदर से यह रासायनिक क्रिया करता रहता है और इसमें धुआं निकलता रहता है।
गैराज इंचार्ज राजेश यादव बताते हैं कि रासायनिक क्रिया के कारण कचरे के टीलों से धुआं निकलता रहता है। क्योंकि कचरे में भारी गैस पैदा हो जाती है, जो आक्सीजन मिलते ही धुआं को घना कर देती है और आग भी लग जाती है।
पालिका के अधिशासी अधिकारी केपी सिंह ने बताया कि बीते दिन उन्होंने ट्रैंचिंग ग्राउंड का निरीक्षण किया और वहां तत्काल प्रभाव से एक सबमर्सिबल लगवा दिया है। दो कर्मचारियों की ड्यूटी इसे गीला बनाए रखने के लिए लगा दी है। सिल्ट वाले ठोस कचरे में आग नहीं लगायी जा सकती।