2050 तक दो डिग्री बढ़ जाएगा तापमान
जागरण संवाददाता, मथुरा: 2050 तक देश के तापमान में दो डिग्री की बढ़ोत्तरी होने की बात कही जा रही है।
जागरण संवाददाता, मथुरा: 2050 तक देश के तापमान में दो डिग्री की बढ़ोत्तरी होने की बात कही जा रही है। सरकार इससे चिंतित है। अगर ऐसा होता है तो इससे स्थिति बहुत खराब होगी। 1990 से तापमान में वृद्धि होने की गति में तेजी आयी है। ऐसे में अब सरकार ने तापमान के संबंध में शोध कराना शुरू कर दिया है।
वेटेरिनरी विवि में 'जागरण' से वार्ता के दौरान भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. आरके सिंह ने ये जानकारी दी। बताया कि 1990 से 2000 के बीच आधा डिग्री तापमान बढ़ा है। इस तेजी के हिसाब से 2050 तक तापमान में दो डिग्री की वृद्धि होने की बात कही जा रही है। तापमान बढ़ने के कारण प्रकृति का संतुलन गड़बड़ाएगा। इसी कारण केंद्र सरकार ने पिछले बजट में 100 करोड़ रुपये तापमान वृद्धि पर हो रहे शोध कार्यो के लिए अपना बजट और भी बढ़ा दिया है। इस बजट से कई विवि में शोध कार्य हो रहे हैं।
डॉ. सिंह ने बताया कि सरकार का ध्यान दोनों तरफ है। एक ओर जहां बढ़ते हुए तापमान को सहने लायक कैसे हों। इस विषय पर शोध हो रहे हैं तो दूसरी ओर तापमान में हो रही वृद्धि को कैसे रोका जाए, इस विषय पर भी शोध हो रहे हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि इबोला से बचाव को सरकार की ओर से तैयारी कर ली गयी है।
खुद को मौसम के हिसाब से ढाल लिया डेंगू ने
डॉ. आरके सिंह के मुताबिक डेंगू के मच्छर ने बढ़ते तापमान के हिसाब से खुद को ढाल लिया है। अब शहर की गर्मी से वह परेशान नहीं होता है। इसीलिए देहात क्षेत्रों से अधिक डेंगू के मच्छर शहरी क्षेत्र में पाए जा रहे हैं।
दक्षिण में नहीं पकड़ में आ रही एफएमडी
खुरपका-मुंहपका निदेशालय के निदेशक डॉ. बी पटनायक ने बताया कि खुरपका-मुंहपका पर यूं तो काफी हद तक अंकुश लगाया जा चुका है। मगर दक्षिण भारत में यह बीमारी अभी भी पूरी तरह पकड़ में नहीं आ रही है।
पशुधन पर शोध करते रहें वैज्ञानिक
इंडियन एसोसिएशन ऑफ वेटेरिनरी माइक्रोबॉयोलॉजी इम्युनालॉजी एंड इन्फेक्शियस डिजीज सोसायटी के अधिवेशन का शुभारंभ वेटेरिनरी विवि में गुरुवार को हो गया। मुख्य अतिथि लघु सिंचाई एवं पशुधन मंत्री उप्र राजकिशोर सिंह ने इस अवसर पर वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि पशुधन की बेहतरी के लिए वे निरंतर शोध करते रहें। उम्मीद भी जताई कि सेमिनार में शोध पत्रों से पशु चिकित्सा को नई दिशा मिलेगी।
सेमिनार के पहले दिन वैज्ञानिकों ने पशु चिकित्सा के विभिन्न पहलुओ पर अपने-अपने अनुभव बांटे। तीन सत्रों में मौसम परिवर्तन, खुरपका-मुंहपका और अन्य विषयों पर विषय विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए। डॉ. केएमएल पाठक, डॉ. सुरेश एस हन्नगोपाल और वेटेरिनरी विवि के कुलपति प्रो. एससी वाष्र्णेय भी इस मौके पर उपस्थित रहे। कार्यक्रम में डॉ. आरके सिंह, डॉ. बजीर एस लाकरा, जीएलए विवि के कुलपति प्रो. डीएस चौहान भी बतौर विशिष्ट अतिथि कार्यक्रम में शरीक हुए।