Move to Jagran APP

जो पशु हों तो..चरौं नित नंद की धेनु मंझारन

जागरण संवाददाता, मथुरा: जो खग हों तो बसेरौं करों नित कालिंदी, कूल, कदंब की डारन जो पशु हों तो कहा

By Edited By: Published: Thu, 30 Oct 2014 11:53 PM (IST)Updated: Thu, 30 Oct 2014 11:53 PM (IST)
जो पशु हों तो..चरौं नित नंद की धेनु मंझारन

जागरण संवाददाता, मथुरा: जो खग हों तो बसेरौं करों नित कालिंदी, कूल, कदंब की डारन

loksabha election banner

जो पशु हों तो कहा बस मेरौ चरौं नित नंद की धेनु मंझारन।। कवि रसखान ने अपने इस पद में ब्रज की महिमा के साथ-साथ गायों की महत्ता बखूबी समझाई है। लेकिन इसे ब्रज का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि जिन नंद बाबा के यहां एक लाख गाय हुआ करती थीं, उससे थोड़ी सी अधिक अब पूरे ब्रज में हैं। गोपाल श्रीकृष्ण के ब्रज में आज गाय ही अल्पसंख्यक हो गई हैं।

ब्रज, गाय और गोपाल का अटूट नाता था। लेकिन आज ब्रज में गायों के प्रति बेरुखी इतनी बढ़ गई कि वह गाय से अधिक भैंस पालना मुनासिब समझते हैं। और तो और गाय के दूध-घी से अधिक कीमती आज भैंस का दूध-घी है। जबकि गायों की महिमा का वर्णन वेद-पुराणों तक में लिखा है।

ये है ब्रज में गायों की स्थिति

पांच साल में गोवंश की बढ़ोत्तरी जहां महज 11 हजार 462 हुई है, वहीं महिषवंशीय में एक लाख, 55 हजार 875 की वृद्धि हुई है।

वर्ष गोवंश महिषवंशीय

2003 130741 568050

2008 142203 723925

हर पांच साल में होती है गणना

पशुओं की गणना हर पांच साल में होती है। 2013 में भी जनपद में पशुओं की गणना हुई थी, लेकिन अभी तक इसके आंकड़े सार्वजनिक नहीं हो सके हैं।

गोशालाओं ने बचा रखी ब्रज की लाज

चूंकि ब्रज होने के नाते यहां के साधु-संतों ने हजारों गोशाला बना रखी हैं, जहां गोवंश का पालन-पोषण होता है। घरेलू पशुपालन के तौर पर गायों को ब्रजवासी कम ही पालते हैं। गाय का दूध जहां 40 से 42 रुपये प्रति लीटर है, वहीं भैंस का दूध 50 से 55 रुपये प्रति लीटर। इसी तरह घी के भावों में भी अंतर है। गाय के दूध से निकला शुद्ध देसी घी गांवों में 400 से 500 रुपये प्रति किलोग्राम है तो भैंस के दूध का घी 700 से 800 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से मिलता है।

इन्होंने कहा..

गोवंश में निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही है। जनपद में बाहर की गायें भी पाली जाती हैं। पुलिस द्वारा तस्करों से छुड़ाई गई गायों को भी गोशालाओं में भेज दिया जाता है। लेकिन हां भैंसों की तुलना में गायों की संख्या काफी कम है।

-डा. एसके मलिक, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, पशुपालन विभाग


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.