Move to Jagran APP

अब दुबारा यहां नहीं आना भैया

जागरण संवाददाता, मथुरा: आंखों में तैरते आंसू, दिल में टीस और भैया का दर्द लिए बहना मिलने आई तो कुछ न

By Edited By: Published: Sat, 25 Oct 2014 11:51 PM (IST)Updated: Sat, 25 Oct 2014 11:51 PM (IST)
अब दुबारा यहां नहीं आना भैया

जागरण संवाददाता, मथुरा: आंखों में तैरते आंसू, दिल में टीस और भैया का दर्द लिए बहना मिलने आई तो कुछ न मांग सकी। बोली, भैया अब ऐसा कोई काम न करना कि दुबारा यहां आना पड़े। घर की कुछ मत पूछो। तुम्हारी राह देख रही बूढ़ी मां की आंखें पथरा गई हैं और भाभी सूख रही हैं।

loksabha election banner

जेल में भैया दूज पर बहनें अपने भाइयों से मिलने के लिए शनिवार सुबह सूरज की किरण फूटने से पहले आ गई थीं। मिठाई, रोली, कलावा, चावल और हल्दी लेकर आई बहन जेल के दरवाजे पर सुबह से लाइन में लगी थी। शादी के बाद पहली बार भैया दूज पर तिलक करने पति के साथ आई मालती खड़ी थी। घड़ी की सुई का कांटा दस पर पहुंचते ही वह जेल से भाई का टीका कर बाहर आई। साड़ी के पल्लू से आंसू पोंछते हुए उसने पति से कहा कि भैया से कह दिया है, अब ऐसा कोई काम न करे, जिससे उसे दुबारा यहां आना पड़े। दोपहर करीब दो बजे सुखदेई ने बच्ची को गोद में लिए भाभी के साथ जेल में कदम रखे। भैया से मिलने की उमंग थी और आंखों से आंसू झड़ रहे थे। जेल के आहते में उसका भाई गर्दन झुकाए बैठा था। भाई को देखते ही वह फूट-फूट कर रो पड़ी। लिपटकर बोली कि देख भैया, तेरे यहां आने के बाद भाभी का क्या हाल हो गया, इसीलिए साथ लेकर आई हूं। बूढ़ी मां कह रही थी कि उसे देखे बिना एक अरसा हो गया।

जेलर आकाश शर्मा ने बताया कि मुलाकात का वक्त खत्म होने तक 1200 बंदियों से 1000 बहनों की मुलाकात कराई गई। जेल में 1423 बंदी हैं। इनमें 63 महिलाएं भी शामिल हैं। इस मौके पर जेल अधीक्षक राजेंद्र प्रसाद भी मौजूद थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.