गोवर्धन महाराज के माथे मुकुट विराज रह्यौ
जागरण संवाददाता, मथुरा (गोवर्धन): अन्नकूट महोत्सव के लिए शुक्रवार को विराट पर्वतराज के चारोंओर सिर्फ
जागरण संवाददाता, मथुरा (गोवर्धन): अन्नकूट महोत्सव के लिए शुक्रवार को विराट पर्वतराज के चारोंओर सिर्फ भक्ति का सैलाब नजर आया। तिरछी चितवन, काली कमली, ठोड़ी पर दमकता लाल हीरा, माणिक्य-मोतियों से सजे देवता गोवर्धन महाराज के आकर्षण ने देश के ही नहीं, बल्कि विदेशी भक्तों को ब्रजरज का स्पर्श पाने को मजबूर कर दिया। मानसीगंगा के घाटों पर सजे लाखों दीपक दिव्यता की ज्योति रोशन कर रहे थे तो अन्नकूट महोत्सव में बने विभिन्न प्रकार के व्यंजन द्वापरयुगीन गोवर्धन पूजा को जीवंत करते नजर आए।
गोवर्धन में दीपावली पर श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। सप्तकोसीय परिक्रमा मार्ग और तलहटी गिर्राज जी की जय के नारों से गुंजायमान हो उठी। शुक्रवार को सुबह गिरिराज शिलाओं पर दूध चढ़ना प्रारंभ हुआ, तो देर शाम तक दुग्धधारा ने टूटने का नाम नहीं लिया। देसी परिधान से सुसज्जित हजारों विदेशी भक्त सिर पर प्रसाद की छबरिया रखकर गिरिराज महाराज को पूजने चले, तो वातावरण अलौकिक बन गया। राधाकुंड मार्ग स्थित गौड़ीय मठ से चले भक्तों ने संत निवास के सामने गोवर्धन महाराज का पूजन किया। मुकुट मुखारविंद मंदिर पर अलौकिक अन्नकूट उत्सव ने श्रद्धालुओं को आगे नहीं बढ़ने दिया। दानघाटी मंदिर, जतीपुरा मुखारविंद मंदिर भी अन्नकूट महोत्सव में डूबा नजर आया। दीपावली पर मानसीगंगा के घाटों पर दीपदान करने वालों का सैलाब उमड़ा।
गौड़ीय भक्तों ने बदला पूजा स्थल
हजारों गौड़ीय भक्त प्रतिवर्ष गौड़ीय मठ से गिरिराज पूजा को निकलते हैं तथा हरगोकुल मंदिर के समीप राजा वाले गिरिराज पर पूजा अर्चना करते हैं। परंतु अबकी बार परंपरा से हटकर भक्तों ने संत निवास के सामने रतन सिंहासन के समीप गिरिराज पूजा की। विदेशी भक्तों के पुरोहित गिरधारी एवं नीरज शर्मा ने मंत्रोच्चारण के बीच विधि विधान से भक्तों की पूजा संपन्न करायी।
हर ओर गोवर्धन महाराज की जय-जयकार
गोवर्धन पूजन और अन्नकूट पर मंदिरों में श्रद्धा का सैलाब उमड़ा। घर-घर में गोवर्धन महाराज की जय-जयकार हुई। गोबर से बहुत ही सुंदर गोवर्धन महाराज बनाए गए।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान अन्नकूट के अवसर पर छप्पनभोग के दर्शन करने को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती रही। ठाकुरजी का फूल बंगला भी आकर्षण का केंद्र रहा। छप्पनभोग श्रीकृष्ण जन्मस्थान के अन्य मंदिरों के साथ-साथ भागवत भवन स्थित श्रीराधाकृष्ण मंदिर एवं श्रीगिरिराज मंदिर में अर्पित किए गए। छप्पनभोग के दर्शन कर श्रद्धालु भाव विभारे हो गए। जन्मस्थान परिसर गिरिराज के जयकारों और भजन कीर्तन से गूंज उठा। श्रीकृष्ण संकीर्तन मंड के भक्तजनों श्रीगिरिराज मंदिर में गाय के गोबर से गोवर्धन का निर्माण किया और पूजन किया। इस दौरान संस्थान के संयुक्त मुख्य अधिशासी राजीव श्रीवास्तव, गिर्राज शरण गौतम, भगवान स्वरूप वर्मा, शिवकुमार, नारायन राय, अनुराग पाठक, अवधेश वर्मा आदि उपस्थित रहे। द्वारिकाधीश मंदिर में प्रात: दस बजे मंदिर के मुखिया बृजेश, शरद, सुधीर ने विधि-विधान से पूजन किया। इसके बाद अन्नकूट सजाया गया। सायं को अन्नकूट के दर्शन करने को श्रद्धालु उमड़ते रहे। इस दौरान श्रीधर चतुर्वेदी, गोपाल कृष्ण चतुर्वेदी, दीनानाथ, राकेश तिवारी एड., वीएस चतुर्वेदी, बनवारीलाल आदि उपस्थित थे।
इस्कॉन मंदिर में विदेशी भक्तों ने परोसे छप्पन भोग
वृंदावन: वृंदावन के इस्कॉन मंदिर में अन्नकूट महोत्सव के मौके पर ठाकुरजी को छप्पन प्रकार के व्यंजन परोसे गए। हरिनाम संकीर्तन में अनेक विदेशी भक्तों ने नृत्य किया। अन्न के पहाड़ पर हरे-कृष्णा की आवाज घंटो गूंजती रही।
इस्कॉन मंदिर में हुये अन्नकूट महोत्सव में शुक्रवार को गो-पूजन, गिरिराज पूजन और भगवान श्रीराधा-कृष्ण का पूजन हुआ। दोपहर को चावल, दाल, बाजरा से गिरिराज पर्वत बना, उसके ऊपर वृक्षों पर पकोड़े फल के बनाये गये। जबकि चारों ओर ब्रज के प्राचीन कुंड दही से बनाये गये। विदेशी संस्कृति में पले-बढ़े युवक और युवती जब ब्रज के ग्वालबाल और सखियों के वेश में गो-पूजन को निकले तो द्वापर का दृश्य इस्कॉन गोशाला का रूप लेता दिखाई दिया।
प्राचीन सप्तदेवालय राधारामण, गोकुलानंद, राधेश्याम सुन्दर, राधावल्लभ, मदन मोहन, गोविंद देव, समेत में अन्नकूट महोत्सव विधिविधान से मनाया गया। वंशीवट स्थित सुदामा कुट में श्री रामानंदीय वैष्णव सेवा ट्रस्ट के महंत भगवान दास, महंत जगन्नाथ दास शास्त्री, संत रामजीवन दास, डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने भाग लिया।
लड्डूगोपाल को छप्पन तरह के व्यंजन
अनेक भक्तों ने अन्नकूट के साथ छप्पन भोग लड्डूगोपाल को अर्पित किए। बड़ी सूरमा कुंज में पूर्व न्यायाधीश अजित कुमार नायक, स्वामी जगन्नाथानंद, केदार महाराज, महंत प्राणकृष्ण दास, जगन्नाथ अधिकारी जयदेव दास ने बताया कि लड्डूगोपाल बाल रूप में पूजे जाते हैं।