उजड़ गई दुनिया, गश खाकर गिर रही थी महिलाएं
मथुरा(कोसीकलां): मौत का ऐसा खौफनाक मंजर। ट्रोला और कैंटर में फंसकर एक दर्जन मजदूरों का शरीर जैसे पिस सा गया था। तेज धमाके से जब तक कैंटर में सो रहे बच्चों और महिलाओं की नींद टूटी, एक दर्जन मजदूर परिवारों की दुनियां उजड़ चुकी थी। हाईवे खून से लाल हो चुका था। भयानक दृश्य देख महिलाएं लाशों पर गश खाकर गिर पड़ीं, बच्चे बदहवास थे। सिर्फ मजदूर परिवारों की चीख तड़के के सन्नाटे को तोड़ रही थी।
हादसे के बीच मचे रुदन के बीच अबोध बच्चे खामोश थे, तो होश संभाल चुके बच्चों की आंखे फटी-की-फटी रही गईं। करीब बीस मीटर तक फैले खून से काली सड़क भी लाल हो गई थी। पुलिस ने भले ही खून पर मिट्टी डाल कर दिल दहलाने वाले भयानक दृश्य को मिटा दिया हो, पर बच्चों और महिलाओं की आंखों में खौफ का दरिया साफ झलक रहा था। महिलाएं कोहराम करती हुई लाशों के ऊपर गश खा कर गिरी पड़ी थीं। सड़क में मिल चुकी लाशों को अंधेरे में अपने ही नहीं पहचान पा रहे थे। घायल सड़क पर पड़े-पड़े तड़प रहे थे और उनके साथी मजदूर उनको संभालने की कोशिश कर रहे थे। चींखें दूर-दूर तक सुनाई दे रही थी। आसपास के कारखानों में काम कर रहे मजदूर चीख सुनकर बाहर निकले, तो उनके भी होश उड़ गए। समझ में नहीं आ रहा था कि वे क्या करें। मदद के लिए सड़क से गुजर रहे यात्री भी नहीं आ थे। पास की फैक्ट्री में काम कर रहे मजदूर हरीराम ने पुलिस को सूचना दी।
पुलिस ने शवों को उठाकर पोस्टमार्टम भेज दिया और घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल भेज दिया। बच्चों को पुलिस लाइन भेज दिया गया। दो दर्जन बच्चे वहां बदहवास हालत में पड़े हुए थे। वे बिस्कुट और चाय से भी बहल नहीं रहे थे। रिजर्व पुलिस लाइन के प्रतिसार निरीक्षक कुलदीप कुकरेती उन्हें बिस्कुट, केला और चाय देते, पर वे सिर हिलाकर लेने से इंकार कर रहे थे।