राधाष्टमी: राधा अवतार भयौ सब कौ मन भायौ
जागरण संवाददाता, मथुरा (बरसाना): तीन लोक के तारणहार भगवान श्रीकृष्ण को शक्ति देने के लिए श्रीजी जन्म ले रहीं थीं। बृषभान भवन में 'आजु बृषभान भवन आनंद अति छायौ, राधा अवतार भयौ सब कौ मन भायौ। दुंदुभि नभ लगीं बजन सुमन लगे बरसन, धाए पुरबासी सब करन कुंअरि दरसन' आदि पद गूंज रहे थे। मंगलवार की प्रात: बेला में द्वापर युग की लीला जीवंत हुई तो बरसाना की भव्यता पृथ्वी लोक पर समा नहीं रही थी। राधाजी के जन्म लेते ही श्रीजी मंदिर में तीनों लोकों का आनंद बरसने लगा।
राधाजी के जन्मोत्सव का साक्षी बनने के लिए सोमवार रात से ही श्रद्धालु मंदिर में पहुंचने लगे। मंदिर जाने वाले रंगीली गलियों के रास्तों में पैर रखने के भी जगह नहीं मिल रही थी। लग रहा था कि श्रद्धालु इस अकल्पनीय नजारे को अपने नेत्रों में बसा कर ले जाना चाहते हैं।
इससे पूर्व सोमवार मध्य रात्रि के बाद मंदिर के सेवायत ठीक दो बजे लाड़ली जी के गर्भगृह में प्रवेश कर गए। जहा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ बृषभान नंदनी मूल शांति के लिए 27 कुओं को जल, 27 पेड़ों की पत्ती, 27 तरह के पुष्प, 27 तरह की औषधि, 27 मेवा, 27 फल, 27 ब्राह्मण, 27 पेड़ों की जड़ तथा सोने चादी के मूल मूलनी और तेल भरा कासे के छाया पात्र व हवन आदि के साथ मूल शान्ति कराई गयी। यह प्रक्रिया रात्रि दो बजे से लेकर मंगलवार सुबह करीब साढ़े चार बजे तक चली। प्रात: 4:45 पर मंदिर स्थित जगमोहन में राधा रानी की दिव्य विग्रह को अभिषेक को लाया गया। सेवायतों द्वारा दूध, दही, शहद, घी, बूरा, केसर, ंगुलाब जल, पंचरतन, नवरतन आदि का पंचामृत बना कर अभिषेक किया गया। अभिषेक होते ही घटा घड़ियाल, वाद्ययंत्र आदि गुंजायमान होने लगे। बरसाना के साथ तीनों लोकों को पता लग गया कि श्रीजी आ चुकी हैं। वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ अभिषेक करीब 45 मिनट तक चलता रहा। समूचा मंदिर परिसर राधा रानी के जयघोष से गूंज रहा था। श्रद्धालुओं द्वारा बधाई हो बधाई हो की जयघोष की जा रही थी।