विधवाओं को इम्दाद बांटना भूल गए अफसर
जागरण संवाददाता, मथुरा (वृंदावन): 'दुनिया से शिकायत क्या करते, जब अपनों ने समझा ही नहीं'। यहां आश्रय सदनों में रहने वाली सैकड़ों निराश्रित महिलाओं का यही हाल है। अपनों ने ठुकरा दिया तो वृंदावन के आश्रय सदनों में आ गई, लेकिन डेढ़ साल से सरकारी इम्दाद की भी ये मोहताज हो गई हैं। फूड मनी नहीं मिला है।
प. बंगाल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार और उड़ीसा आदि स्थानों से अलग-अलग कारणों से यहां रास बिहारी, लीला कुंज और अन्य आश्रय सदनों में गुजर बसर करने वाली वृद्ध निराश्रित महिलाओं को सरकार बतौर फूड मनी हर माह 550 रुपये उपलब्ध कराती रही है। रास बिहारी आश्रय सदन में 105, लीला कुंज आश्रय सदन में 106 और चैतन्य विहार फर्स्ट फेज आश्रय सदन में 168 महिलाएं निवास कर रही बताई गई हैं। लेकिन इन निराश्रित महिलाओं को जिला प्रशासन डेढ़ साल से फूड मनी उपलब्ध नहीं करा रहा है। गौरतलब है, फूड मनी उन्हीं महिलाओं को उपलब्ध कराने का प्रावधान है, जो इसके वितरण के समय आश्रय सदनों में उपस्थित मिलेंगी। यदि कोई महिला इस समय गैरहाजिर या अपने घर निकल जाएगी, तो उसे इस सरकारी इम्दाद से वंचित रहना पड़ेगा।
भला हो एक एनजीओ का जो इनकी कुछ आर्थिक मदद कर रहा है और सुबह-शाम रोटी पा रही हैं। इस बारे में जानकारी करने पर जिला प्रोबेशन अधिकारी ओम प्रकाश यादव ने बताया कि इसकी जानकारी कुछ दिन बाद दे पाएंगे।
चाहिए आठ माह का वेतन
सरकारी आश्रय सदनों के कर्मियों को भी आठ माह का वेतन चाहिए। रास बिहारी और लीला कुंज आश्रय सदन में अधीक्षिका समेत एक दर्जन से अधिक संविदा कर्मचारी कार्यरत हैं। कई कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि नौकरी जाने के भय से वह मुंह नहीं खोल पा रहे हैं।