बिना बजट थम गए 'किसान सेवा रथ' के पहिए
जागरण संवाददाता, मथुरा: किसानों को फसलों और खेतीबाड़ी की नवीनतम जानकारी देने के लिए कभी गांव-गांव घूमने वाले 'किसान सेवा रथ' के पहिये फिलहाल थमे हुए हैं। अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित यह रथ पिछले करीब एक साल से कबाड़ की भांति आइपीएम लैब के पीछे खड़ा है। रथ के गांव-गांव न घूमने से जनपद के किसानों को खेती-किसानी की नई-नई जानकारी नहीं मिल पा रही हैं।
किसानों को रबी, खरीफ व जायद की फसलों की नवीनतम जानकारी मुहैया कराने और कृषि विभाग द्वारा कृषकों को दी जाने वाली सुविधाओं व योजनाओं की जानकारी के लिए कृषि निदेशालय ने करीब दस वर्ष पूर्व 'किसान सेवा रथ' गांव-गांव घुमाने को भेजा था। मथुरा जनपद को मिले रथ पर हाथरस जिले की भी जिम्मेदारी थी। रथ रबी, खरीफ और जायद की फसलों में 40-40 दिन तक लगातार चलता था। पिछले नौ सालों तक रथ ने अपने नाम के अनुरूप किसानों को लाभ भी पहुंचाया था, लेकिन एक साल से रथ असहाय खड़ा हुआ है। खड़े-खड़े जंग लग गई है। नीचे घास भी उग आई है। एक साल से यह किसान सेवा रथ एक भी गांव में नहीं गया है।
यह था किसान सेवा रथ का काम
-न्याय पंचायत स्तर पर जाकर किसानों को कृषि योजनाओं की जानकारी देना।
-प्रोजेक्टर के जरिये किसानों को खेती-बाड़ी की नवीनतम जानकारी उपलब्ध कराना।
-किस तरह की मिट्टी में कौन-कौन सी फसल बोएं।
-फसलों में लगने वाले रोग की जानकारी और उनकी बचाव के उपाय बताना।
-मौसम की जानकारी देना।
बोले किसान..
गांव फतिहा के किसान मानिक चंद का कहना है कि कई महीने पहले कृषि विभाग का रथ गांव में आया था, खेती-किसानी से जुड़ी तमाम जानकारी दी गई थीं। लेकिन तब के बाद एक बार भी वाहन नहीं आया। आझई के किसान मुरारीलाल कहते हैं कि किसान सेवा रथ के न आने से किसानों को खेती की नई तकनीकी जानकारी नहीं मिल पा रही है और न ही यह पता चल पा रहा है कि विभाग की ओर से किसानों के हितों में कौन-कौन सी योजनाएं चला रखी हैं। गिरधरपुर के राजेंद्र सिंह ने बताया कि जब विभाग का रथ गांव में आया था तो किसानों को इसका काफी लाभ मिला था, कई किसानों ने खेती में नए-नए प्रयोग भी किए थे। लेकिन अब फिर से किसान पुराने ढर्रे से खेतीबाड़ी कर रहे हैं।
इन्होंने कहा..
कृषि निदेशालय से इस 'किसान सेवा रथ' के संचालन के लिए कोई कार्ययोजना नहीं भेजी गई है और न ही डीजल आदि का बजट भेजा गया है। इसलिए यह वाहन किसानों के बीच नहीं जा पा रहा है। जैसे ही कार्ययोजना और बजट मिलेगा इसे फिर से संचालित किया जाएगा।
-राकेशबाबू गंगवार, उपकृषि निदेशक