सभ्यता और संस्कारों का उदय संस्कृत से
जागरण संवाददाता, मथुरा (वृंदावन): संस्कृत से सभ्यता और संस्कारों का उदय होता है। इसके द्वारा शब्दों को अलंकारित रूप में प्रस्तुत भी किया जा सकता है।
मथुरा मार्ग स्थित वात्सल्य ग्राम में पंद्रह दिवसीय संस्कृत संभाषण शिविर के समापन अवसर पर गुरुवार को यह बात आचार्य सनत कुमार शास्त्री ने कही। वात्सल्य ग्राम में व्यवस्थापक डॉ. एके राय ने कहा संस्कृत सभी भाषाओं का मूल है। सभी भाषाओं का उद्गम संस्कृत से ही हुआ है। जिन्होंने संस्कृत को अपनाया उन्हें भारतीय संस्कृति का संपूर्ण ज्ञान हो जाता है। यदि भारत के अतीत को जानना है तो संस्कृत को जानना अनिवार्य है। महेश खंडेलवाल ने कहा संस्कृत देववाणी है, जिसे समझाना और बोलना सहज नहीं किंतु संभाषण शिविर के माध्यम से संस्कृत को समझा और बोला जा सकता है। शिविर में शामिल छात्रों के बीच संस्कृत भाषा को सरल रूप में प्रस्तुत कर दैनिक बोलचाल की भाषा बनाया गया, जिसे प्रशिक्षणार्थियों ने सहज रूप में सीखा और बोलचाल की भाषा में प्रयोग किया। इससे पूर्व प्रशिक्षणार्थियों ने संस्कृत में नाटक व गीत प्रस्तुत कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
गोपाल पटवा, साध्वी स्वरूप गिरि, साध्वी समाहिता, साध्वी सुदेश, साध्वी सद्गुणा, साध्वी सत्यसिद्धा मौजूद रहे। संचालन ज्योत्सना ने किया।