खेतों में बरसा 'अमृत' , किसानों के खिले चेहरे
जेएनएन, मथुरा: आसमान की ओर निगाहें लगाए किसानों के चेहरे सोमवार को खिल उठे। झमाझम बारिश खेतों के लिए मानो अमृत बनकर बरसा। धान की पौध को नयी जिंदगी मिल गई। ज्वार और बाजरा भी हरे-भरे हो गए।
कोसीकलां: भीषण गर्मी से त्राहि त्राहि कर रहे लोगों पर इंद्रदेव की मेहरबानी हो ही गयी। करीब आधा घंटे हुई झमाझम बरसात से लोगों के चेहरे खिल उठे। लंबे इंतजार के बाद धरती की प्यास बुझाने के लिए आसमान से बादल बरसे तो फसल सुखने से मुरझाए अन्नदाता के चेहरों पर भी रौनक लौटने लगी।
सोमवार दोपहर तीन बजे बूंदाबांदी के बाद शुरू हुई झमाझम बरसात से लोगों के चेहरे खिल उठे। लोगों ने भीषण गर्मी से राहत की सांस ली। बरसात के बाद चली हवाओं ने मौसम को खुशनुमा बना दिया। इस दौरान शहर की बाहरी कालोनियों के निचले इलाकों में पानी भर गया।
खेत लबालब
कराहरी: सावन मास के सोमवार को भोले बाबा खुश हुए तो झमाझम मेघा बरसे। धान के किसानों के चेहरे की खुशी वापस लौट आई। पोखर तालाबों मे भी पानी नजर आने लगा है। क्षेत्र के किसान अब तक वर्षा न पड़ने के कारण धान की फसल में रात दिन इंजन चलाकर फसलों में पानी लगा रहे थे। इस कारण हजारों रुपया का डीजल फूंक रहा था। किसानों पर आर्थिक संकट भी छाने लगा था। सोमवार को भोले बाबा खुश हुए और दो घंटे की वर्षा से धान की फसल को पानी मिल गया। खेतों में पानी भरा देख किसानों के चेहरों पर भी खुशी छा गई।
सुरीर: लम्बे इंतजार के बाद सोमवार को हुई बारिश से मौसम तो खुशगवार हो गया। किसानों के चेहरों पर बरसात की खुशी तो झलक रही है। लेकिन सोमवार को हुई बरसात को खेतों के लिए अभी नाकाफी बताया जा रहा है। उधर, कस्बे में गंदगी का अंबार लगने से लोग खासे परेशान हो गये है । जगह- जगह जलभराव से आवागमन मुश्किल भरा हो गया है। पैंठ बाजार, डाकघर रोड, नया बाजार जल भराव के कारण लोगों को आवागमन में परेशानी झेलनी पड़ी। मानसून एक माह देरी से आने के बाद कस्बे में बरसात होते ही पूरा कचरा सड़कों में आ गया।