घुमड़ रहे बदरा पर बरस नहीं रहे
मथुरा(सुरीर): हर रोज आसमान की ओर अन्नदाताओं के साथ सभी तबके की आखें टिकी रहती हैं। सप्ताह पूर्व सिर्फ एक दिन के लिए हुई हल्की बारिश के बाद अब फिर सूखा जैसे हालात बनने लगे हैं। आसमान में कभी किसी भी वक्त घुमड़ते काले बादल राहत की कल्पना तो करा रहे हैं, लेकिन कुछ ही देर में खिलने वाली चटक धूप फि र से मुश्किलें बढ़ा रही है।
पूर्व की बारिश से खेतों की नमी भी खत्म हो गई है। इससे किसानों की समस्या बढ़ गई है। मई और जून में शून्य रही बारिश के बाद जुलाई का महीना भी बिना बारिश के ही गुजरता जा रहा है। सूखा के संभावित हालातों में बरसे मेघ एक सप्ताह से फि र ऐसे रूठे हैं कि हालात पहले जैसे नजर आने लगे हैं। एक दिन की बारिश के बाद आगे भी इंद्रदेव की कृपा को देख किसानों ने धान ही नहीं, बल्कि बाजरा भी तेजी से बो दिया था।
सूखा से उबरने की उम्मीद अब एक सप्ताह में ही व्यर्थ नजर आने लगी है। लगातार आसमान में सफेद और काले बादल धूप-छाव का खेल तो कर रहे हैं, लेकिन जमीं पर पानी फि र भी नहीं बरसा रहे। ऐसी स्थिति में खेती और किसानों के लिए संकट बढ़ता जा रहा है। हाल ही में धान की होने वाली रोपाई के बाद खेत सूखे नजर आने लगे हैं।
इधर सूखती फ सलों को बचाने के लिए सिंचाई संसाधनों पर खर्च किसानों के लिए बढ़ गया है। जबकि अभी भी काफी भू-भाग खरीफ की फ सलों की बुवाई से अछूता है। रविवार को भी सुबह से शाम तक कभी बादलों के घुमड़ने और फि र खिली धूप अन्नदाताओं को चिढ़ाती रही। लोग बरसात के लिए तरस रहे हैं। इससे वातावरण में गर्मी और उमस बढ़ जाती है। बीते कई दिनों से आसमान पर बादल घुमड़-घुमड़ कर रह जाते हैं। किसान हो या व्यापारी सभी बारिश के लिए आसमान की ओर निहार रहे हैं। वृद्धजनों का कहना है कि जब तक पुरवइया चलेगी तब तक बारिश की संभावना कम ही है।