पहले दिन 30 लाख शिवलिंग बनाए, अभिषेक
जागरण संवाददात, मथुरा, (वृंदावन): वृंदावन की पावन धरा पर सवा करोड़ शिवलिंग निर्माण, अभिषेक और यमुना विसर्जन कार्यक्रम शुरू हो गया। इसमें हजारों महिला और पुरुषों ने सहभागिता की। शुक्रवार को भक्तिभाव से लबरेज श्रद्धालुओं ने 30 लाख पार्थिव शिवलिंग बनाकर प्रकांड पंडितों की देखरेख में उनका अभिषेक किया। इस दौरान ऊं नम:शिवाय मंत्र के उच्चारण से पूरा वातावरण शिवमय हो गया। शाम को पार्थिव शिवलिंगों का धूमधाम के साथ भक्तों ने विसर्जन किया।
मथुरा मार्ग स्थित जयपुर मंदिर में सवा करोड़ शिवलिंग निर्माण और उनके अभिषेक का कार्यक्रम शुक्रवार प्रात: 9 बजे से शुरू हो गया। आयोजन मध्य प्रदेश के दद्दाजी शिष्यमंडल द्वारा किया जा रहा है। पहले चरण में हजारों महिलाओं और पुरुषों ने मध्य प्रदेश से मंगाई गई पीली और गीली मिट्टी से पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किया। करीब 30 लाख शिवलिंगों को चावल और चंदन से सजाया गया।
दोपहर एक बजे विद्वान पंडितों ने मंच पर आकर ऊं नम:शिवाय मंत्र का उच्चारण करने का संदेश दिया। मुख्यपीठ पर बैठे देवप्रभाकरशास्त्री उर्फ दद्दाजी का संकेत मिलते ही सभी भक्तों ने 30 लाख शिवलिंगों की पूजा और अभिषेक किया। करीब दो घंटे तक चले इस कार्यक्रम और ऊं नम:शिवाय के नाद से पूरा का पूरा वातावरण शिवमय लगने लगा। शाम को संत दद्दाजी के आह्वान पर भक्तों ने सभी पार्थिव शिवलिंगों को विसर्जन किया। केशीघाट पर भक्तों ने घंटों ऊं नम: शिवाय का उच्चारण कर भगवान शिव के जयकारे लगाए। कार्यक्रम डॉ. अनिल त्रिपाठी, राकेश बुधौलिया, ब्रजभूषण मिश्रा, संतोष उपाध्याय, बॉबी हाथीवाला की देखेरख में संपन्न हुआ।
फिल्म अभिनेता राजपाल यादव आज और आशुतोष राणा कल आएंगे
दद्दाजी शिष्य मंडल के वरिष्ठ सदस्य सुरेन्द्र सुहाने ने बताया कि शिष्य मंडल का यह 94वां शिवलिंग निर्माण कार्यक्रम वृंदावन में हो रहा है। कार्यक्रम में फिल्म अभिनेता राजपाल यादव शनिवार को और आशुतोष राणा रविवार को आएंगे।
पाश्चात्य सभ्यता से दूर हों युवा: देव प्रभाकर
शिष्य मंडल के प्रमुख और संत देव प्रभाकर उर्फ दद्दाजी ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि आधुनिकता और पाश्चात्य सभ्यता को अपनाने की होड़ खत्म हो। युवाओं को जागृत करने के लिये पार्थिव शिवलिंग पूजा का आयोजन किया जाता है। देश में खुशहाली हो, लोग भाईचारे से रहें, यह कार्यक्रम का उद्देश्य है। पूर्व में हवन-यज्ञ के कारण ही तो देश में दूध की नदियां बहा करतीं थीं। हवन, पूजा और अनुष्ठान बहुत जरूरी है।