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हृदय द्रवित, जोशीले जयकारे और फड़कतीं भुजाएं

By Edited By: Published: Thu, 10 Jul 2014 02:20 AM (IST)Updated: Thu, 10 Jul 2014 02:20 AM (IST)
हृदय द्रवित, जोशीले जयकारे और फड़कतीं भुजाएं

जागरण संवाददाता, मथुरा: यमुना जागरण यात्रा से कालिंदी में अविरलता, पवित्रता, शुद्धता की उम्मीदों की लहरें उछाल मारने लगी हैं। आस्था इतनी कि जहां से नजरों में पवित्र जल से लबालब कलश निहार पाए, वहीं से ही यमुना मैया की जय- जयकार होने लगी। यात्रा की नजदीकी मिलते ही कालिंदी के क्रंदन को अपने आंसुओं से पी लिया। जय- जयकारों में आग उगल रहे थे तो यमुना को मैला करने वालों को सजा देने के लिए भुजाएं फड़क रही थीं। कोई हाथ जोड़े था, तो कोई हाथ उठाकर कालिंदी को पौराणिक स्वरूप दिलाने के लिए अपनी आहुति देने को हाथ उठाकर संकल्प कर रहा था। चुनरी समर्पण, पुष्पांजलि, माल्यार्पण यमुना मैया के प्रति श्रद्धा भाव से सराबोर थे।

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बुधवार को यमुना जागरण यात्रा ने मथुरा में प्रवेश किया तो लोगों में नजारा कुछ ऐसा ही था। और होता भी क्यों न? यमुना जी के दोनों किनारे सुंदर वनो से पुष्प यमुना जी में झरते थे। भक्त पूजा करते थे। मगर आज गंदे पानी की नालियां यमुना में गिर रही हैं। पूजा करते समय आस्था विचलित होती है। यमुना की उछलती तरंगें मानो उनके हाथ के कंगन थे, किनारों पर चमकती रेत कंगनों में फंसे मोती बनते थे। मगर अब ये रेत प्लास्टिक से सनी हुई है। अगणित गुणों से सुशोभित यमुना जी की देवता भी स्तुति करते हैं। जलप्रपूरित मेघश्याम बादलों जैसा जिनका वर्ण है। कारखानों के कचरे ने न केवल यमुना का वर्ण प्रभावित किया है, बल्कि जल के गुणों को भी अवगुणी बना दिया है। मान्यता है कि यमुना जल का पान करने से यमराज की पीड़ाएं नहीं भोगनी पड़तीं, मगर अब तो यमुना जल से आचमन भी नहीं होता। द्वापर में श्रीकृष्ण ने तो कालिया नाग से मुक्ति दिला दी, मगर अब मल- मूत्र, कचरा जैसे नागों को कौन मारे?

यमुना जागरण यात्रा के दौरान आस्था और श्रद्धा के रंग- बिरंगे नजारे भी यही संकेत दे रहे थे। कोसी से लेकर हाईवे तक जगह- जगह यमुना भक्तों ने जागरण यात्रा का भव्य स्वागत किया। पुष्प और माल्यार्पण के साथ यमुना को प्रदूषण मुक्त रखने का संकल्प लेते रहे। साथ ही इस अभियान को प्रचारित और प्रसारित करने के लिए आह्वान भी करते रहे। जयकारों में आस्था का जोश था, तो कालिंदी पर गंदगी की कालिख घोलने वालों की करतूतों पर आगबबूला जैसे स्वर भी थे। कलश के प्रति श्रद्धा दर्शाते भक्तजन मोक्षदायिनी से प्रार्थना भी करते कि अब तो तुम्हीं अपना उद्धार करो।

अकबरपुर में चंदन मास्टर यमुना की दुर्दशा बताते- बताते आक्रोशित हो गए। बोले कि पुराणों में यमुना का जो स्वरूप वार्णित किया है, अब तो वो कहीं नजर नहीं आता। कुंवर सेन ने कहा कि बुजुर्ग जब यमुना की चर्चा करते हैं तो हम कल्पना में खो जाते हैं। काश, हम भी यमुना का वो नजारा देखते। चौमुंहा में ठाकुर थान सिंह ने यमुना जागरण यात्रा का स्वागत करते हुए कहा कि यमुना की बदहाली के लिए हम सब जिम्मेदार हैं। स्वच्छता और पवित्रता के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करने होंगे। छटीकरा स्थित शांति सेवाधाम पर यात्रा का स्वागत करने को यमुना भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। महिला- पुरुष ही नहीं बच्चों में भी पुष्पांजलि की उत्सुकता रही। छटीकरा स्थित शांति सेवा धाम पर अपने अनुयाइयों के साथ यमुना जागरण यात्रा का जोरदार स्वागत करते हुए भागवताचार्य देवकीनंदन ने कहा कि यमुना के बगैर ब्रज की कल्पना भी नहीं की जा सकती। यमुना के लिए अगर आज से ही हम लोग सक्रिय नहीं हुए, तो कल ब्रज का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।


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