ज्ञान व संस्कारों का सागर है रामचरित मानस
किशनी: श्रीरामचरित मानस ही ऐसा महान ग्रन्थ है जिसमें मानव जीवन से जुड़े हर पहलू पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। उनका अनुकरण तो दूर स्मरण रखने से ही जीवन आदर्श बन जाता है।
चितायन में कटा देवी मन्दिर पर चल रही रामकथा के दौरान पण्डित ज्ञान प्रकाश शुक्ला व मृदुला शुक्ला ने श्रोताओं को रामचरित मानस की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रामचरित मानस ही दुनियां का ऐसा ग्रंथ है जिससे संस्कारित जीवन जीने की शिक्षा मिलती है। यही ग्रन्थ ऐसा है जिसमें जीवन को विलासता से दूर रखकर समाज के लिए जीने का भी पाठ पढ़ाया जाता है। उन्होंने कहाकि हमारी संस्कृति में संस्कारों का विशेष महत्व है एक संस्कारवान व्यक्ति खुद सद्मार्ग पर चलते हुए दूसरों के लिए मार्ग दर्शक बन जाता है जबकि संस्कार से विमुख व्यक्ति खुद तो पतित हो ही जाता उसके सम्पर्क में आने वाला हर कोई कलंकित हो जाता है।
आजकल राजनीति के चलते नारी सशक्तीकरण या छुआ- छूत पर हर कोई भाषण देता है लेकिन युगों पहले मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने शबरी के यहां जाकर यह साबित किया था कि वह भक्तों के वश में हैं और भक्त ही उन्हें नचा सकते हैं। संत द्वय ने श्रोताओं से कहा कि रामचरित मानस का नित्य पाठ, उसमें लिखी बातों का स्मरण करने मात्र से जीवन धन्य हो जाता है ऐसा करने वाले को जगत में ख्याति और मन को शान्ति मिलती है।
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