एमडीएम: रसोइयों को नहीं मिल रहा मानदेय
मैनपुरी, बेवर: परिषदीय विद्यालयों में रोजाना दोपहर को गरमा -गरम खाना बनाकर छात्रों को परोसने वाली रसोइयों को स्वयं भूखे पेट रहकर मन मसोस कर रह जाना पड़ता है। माह से इनको मानदेय न मिलने से वे भुखमरी के कगार पर हैं।
शासन की मिड-डे-मील योजना को मूर्तरूप देने के लिए खाना बनाने वाली रसोइयों की महत्वपूर्ण भूमिका होने के बावजूद वे उपेक्षा की शिकार हैं। गुजरे 10 माह में मात्र एक महीने का मानदेय दिलाया गया है।
गरीबी रेखा से नीचे या विधवा महिलाएं ही इस योजना में सहयोग कर रही हैं। विद्यालयों की जिम्मेदारी के अलावा घर की जिम्मेदारी भी इन्हीं के कंधों पर है। चंद पैसों की खातिर घर गृहस्थी से समय काटकर दो जून की रोटी की जुगाड़ की लालसा में ये खुद को खपाए हैं परन्तु प्रशासन इनकी दुश्वारियों को नजरन्दाज करके उनसे मजदूरी तो करा रहा है परन्तु इस ओर ध्यान किसी का नहीं है कि आखिर ये लोग अपना तथा परिवार का पेट कैसे भरेंगे। प्रधानाध्यापक ग्राम प्रधान भी इस ओर संवेदनहीन हैं जिन्होंने इतने लम्बे अंतराल के बाद उन्हें मानदेय दिलाने की काई सार्थक पहल नहीं की है। विकास क्षेत्र में 200 के करीब रसोइयों को आज भी बस अगले महीने मानदेय मिलने का इंतजार रहता है। रसोइयों की मांग है कि प्रशासन हमारी कठिनाइयों को समझे तथा लम्बित मानदेय दिलाया जाये।
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