किसान की बिटिया ने लहलहाई शिक्षा की फसल
सुनील मिश्रा, बेवर (मैनपुरी): अनपढ़ किसान की बिटिया ने पढ़-लिखकर गांव में बेटियों को शिक्षित करने क
सुनील मिश्रा, बेवर (मैनपुरी): अनपढ़ किसान की बिटिया ने पढ़-लिखकर गांव में बेटियों को शिक्षित करने के लिए जागरूकता का बीज बो दिया। चार साल में अब गांव में शिक्षा की फसल लहलहाने लगी है। गांव वाले अपनी बेटियों का स्कूल में दाखिला कराने लगे हैं, तो किसान की ये बिटिया अपने 'गुरुकुल' में इन बेटियों को मुफ्त ट्यूशन दे रही है।
बेवर विकास खंड के गांव छिनकौरा निवासी किसान क्षेत्रपाल सिंह के तीन बेटे और सबसे छोटी बेटी प्रियंका है। क्षेत्रपाल और उनकी पत्नी ने स्कूल का मुंह भले ही न देखा हो, मगर बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर पूरा ध्यान दिया, खासतौर पर बेटी पर। क्षेत्रपाल का बड़ा बेटा दिव्यांग है, जबकि मंझला बेटा बीएएएलएलबी और सबसे छोटा बेटा उनके साथ किसानी करता है। प्रियंका (24) ने ¨हदी से एमए कर लिया। प्रियंका ने देखा कि गांव के लोग अपनी बेटियों को शिक्षा दिलाने के प्रति बेपरवाह हैं। प्रियंका ने गांव की बेटियों को शिक्षित कराने का प्रण लिया। करीब चार साल पहले घर के बाहर ही झोपड़ी डाल 'गुरुकुल' शुरू कर दिया।
इसके बाद गांव वालों को अपनी बेटियों को स्कूल में दाखिला कराने के लिए प्रेरित करने लगीं, साथ में अपने घर पर मुफ्त में ट्यूशन का ऑफर भी दिया। बात गांव वालों की समझ में आने लगी। स्कूल में दाखिले के बाद धीरे-धीरे लोग अपनी बेटियों को यहां पढ़ने के लिए भेजने लगे। वर्तमान में यहां पर करीब चार दर्जन लड़कियां पढ़ने आ रही हैं। ये कक्षा सुबह और शाम को लगती है।
प्रियंका कहती हैं कि बेटियों को पढ़ाने में गांव के लोग रुचि नहीं लेते। उन्हें जागरूक करना पड़ता है। जब बेटियां पढ़-लिख जाएंगी, तो समाज में उन्हें दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। प्रियंका किताबी ज्ञान के साथ ही संस्कारों की शिक्षा भी देती हैं। बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करने के साथ ही यहां पर बच्चों को समाज में रहने के तौर-तरीके भी सिखाए जाते हैं।
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लड़कों से लेती हैं फीस
आय का जरिया खोजने के लिए प्रियंका अपने 'गुरुकुल' में आने वाले लड़कों से फीस लेती है। यहां पर वर्तमान में करीब चार दर्जन लड़के भी ट्यूशन लेने आते हैं।
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संवर जाएगी बेटी की जिंदगी
प्रियंका से पढ़ने वाली गांव के ही जूनियर हाईस्कूल में कक्षा आठ की छात्रा कल्पना शाक्य के पिता रामप्रकाश कहते हैं कि अच्छे स्कूल और फिर ट्यूशन पढ़ाना मेरे बस का नहीं है। खेती से इतनी कमाई नहीं होती कि बेटी को पढ़ाया जा सके। प्रियंका के पास मुफ्त पढ़कर जरूर कल्पना का जीवन संवर जाएगा। कल्पना भी यहां पढ़ाई से बेहद खुश है। वह कहती है कि स्कूल के बाद प्रियंका दीदी के पास पढ़ते हैं, तो काफी अच्छा लगता है। पढ़ाई में भी अब मन लगने लगा है। छाया का भी अभी कहीं दाखिला नहीं हुआ है, लेकिन पिता विनोद कुमार कहते हैं कि यहां थोड़ा पढ़-लिख जाएगी, तो सरकारी स्कूल में दाखिला करा देंगे।