मौसम ने मारी पलटी, शीतलहर का डंका
जागरण संवाददाता, मैनपुरी : दो दिनों तक खिली धूप के बाद मंगलवार को मौसम ने एक बार फिर से करवट बदल ली।
जागरण संवाददाता, मैनपुरी : दो दिनों तक खिली धूप के बाद मंगलवार को मौसम ने एक बार फिर से करवट बदल ली। मंगलवार को दोपहर का अधिकतम तापमान 19 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 6 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। शीतलहर चलने से दिन भर लोगों की कंपकंपी छूटती रही। कोहरा और हल्के बादलों की वजह से दोपहर में निकली धूप में भी गलन घुली रही।
मकर संक्रांति के बाद से मौसम के तेवरों में थोड़ी नरमी आई थी। दो दिनों से आसमान में खिली धूप लोगों को सर्दी से राहत दिला रही थी। मगर, सोमवार की रात से एक बार मौसम ने फिर से करवट बदल ली। रात भर सर्द हवाओं के चलने से ठिठुरन बनी रही। शीतलहर का असर मंगलवार को भी नजर आया। सुबह कोहरे और हल्के बादलों की वजह से ठंड का प्रकोप बढ़ गया। स्थिति यह रही कि दोपहर तक आसमान में धूप के दर्शन नहीं हुए। दोपहर बाद धूप तो निकली लेकिन सर्द हवाएं गलन घोलती रहीं। ठंड से राहत पाने के लिए लोग अलाव और गर्म कपड़ों का सहारा लेते दिखे। मौसम के इस बदलाव को स्वास्थ्य विशेषज्ञ सेहत के लिए नुकसानदेह मानते हैं। फिजीशियन डॉ. जेजे राम का कहना है कि इस मौसम में वायरस सबसे ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे होते हैं। दिल के मरीजों को दौरा पड़ने की संभावना भी सर्वाधिक बढ़ जाती है। लिहाजा, जहां तक संभव हो, ठंड से बचने का प्रयास करें।
फसलों के लिए काल है कोहरा और बदली:
बदली युक्त मौसम खेत में लहलहा रही फसलों के लिए काल साबित होने लगा है। कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. विकास रंजन चौधरी का कहना है कि बदली युक्त मौसम का असर सरसों की फसल पर सबसे ज्यादा होता है। कोहरे की वजह से सरसों के फूलों में माहू कीट का हमला तेज हो जाता है। स्थिति यह है कि माहू के हमले से अधिकांश जगहों पर फसल चक्र प्रभावित हुआ है। सरसों की फसल पर बुरा असर पड़ा है। इतना ही नहीं कोहरे और तुषार की मार से आलू की फसल भी बर्बाद हो रही है। उनका कहना है कि अगर मौसम की यही स्थिति रही तो आलू और सरसों की फसल से बेहतर मुनाफे की आस लगाए बैठे किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। उनका कहना है कि कोहरे की मार से फसल को बचाने के लिए जरूरी है कि किसान फसलों की पर्याप्त ¨सचाई करें ताकि फसलों के पौधों में पानी की पर्याप्त मात्रा बनी रही और तुसार का असर कम हो।