बुखार का कहर, सीएमओ ने संभाली कमान
मैनपुरी: बेवर के गांव अरमसराय के गंगादीन तीन दिनों से बेहद बीमार हैं। बुखार उनका पीछा नहीं छोड़ रह
मैनपुरी: बेवर के गांव अरमसराय के गंगादीन तीन दिनों से बेहद बीमार हैं। बुखार उनका पीछा नहीं छोड़ रहा है। डॉक्टरों से दवा ली। फायदा नहीं हुआ, तो बुधवार को जिला अस्पताल पहुंचे। गंगादीन बताते हैं कि उनके परिवार के पांच सदस्य बुखार से पीड़ित हैं। डेंगू और मलेरिया का प्रकोप थम ही नहीं रहा है। मौसम जाते-जाते भी डेंगू का डंक कहर बरपा रहा है। रोज चार सौ मरीज बुखार पीड़ित अस्पताल पहुंच रहे हैं।
चिकनगुनिया का प्रकोप कम है, लेकिन हड्डियां और जोड़ मरीजों को असहनीय दर्द दे रहे हैं। बुधवार को मरीज बढ़े, तो सीएमओ डॉ. केके शर्मा को खुद कमान संभालनी पड़ी। आमतौर पर माना जाता है कि दीपावली के आसपास डेंगू का हमला कम हो जाता है, लेकिन मरीजों की संख्या में कमी नहीं आ रही। अकेले बुधवार को ही जिला अस्पताल में 1260 मरीज पहुंचे। इनमें 473 मरीज बुखार से पीड़ित थे। जिला अस्पताल की पैथोलॉजी में अब तक 22 लोगों को डेंगू की पुष्टि हुई है।
निजी अस्पतालों और पैथोलॉजी में ये आंकड़ा कहीं ज्यादा है। बुधवार को शहर की चार पैथोलॉजी में पता चला कि यहां एक माह में 36 मरीजों की पुष्टि हुई है। हालांकि हकीकत इससे कहीं जुदा है। दरअसल, बुखार में जरा भी डेंगू की आशंका होने पर मरीज आगरा या सैफई पहुंच जाते हैं।
हर बुखार डेंगू नहीं
'डेंगू का कहर उतना नहीं है, लेकिन आशंका ने उसे बड़ा बना दिया है। दरअसल, मरीजों को दो से तीन दिन बुखार आता है, तो वह उसे डेंगू मान लेता है। जब तक डेंगू की पुष्टि न हो जाए, तब तक बुखार को लेकर बहुत परेशान न हों। झोलाछाप से कतई इलाज न कराएं। अब डेंगू का कहर कम हो गया है। पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं।
डॉ. केके शर्मा सीएमओ, मैनपुरी।
मरीज हजार, तीन चिकित्सकों पर दारोमदार
जिला अस्पताल में हर दिन मरीजों की संख्या एक हजार से ऊपर पहुंच रही है, लेकिन महज तीन फिजीशियन हैं। डॉ. एके उपाध्याय, डॉ. जेजे राम और डॉ, धर्मेंद्र। इनमें कोई न कोई चिकित्सक अवकाश या फिर किसी सरकारी कार्य से बाहर रहता है। दो चिकित्सकों पर ही 500 से अधिक बुखार पीड़ित मरीजों के उपचार का जिम्मा है।
क्या कहते हैं मरीज
'15 दिन से ज्यादा हो गए हैं, बुखार उतरने का नाम नहीं लेता। हर तीसरे दिन अस्पताल आते हैं। डॉक्टर साहब पुराना पर्चा देखते हैं और अगले तीन दिनों की दवा लिखकर वापस भेज देते हैं। कोई राहत नहीं मिल पा रही है।
रामनारायण, वीरपुर।
'बुखार पीछा ही नहीं छोड़ता। डॉक्टर साहब ने कहा, खून की जांच करा लो। जांच कराने के बाद दवा ले रही हूं, लेकिन कोई आराम नहीं होता। दवा का असर खत्म होते ही फिर बुखार आ जाता है।
गिरजा देवी शाक्य, किशोरपुर।
'सीने में दर्द के साथ बुखार की दिक्कत है। कई दिन हो गए हैं। उपचार से कोई लाभ नहीं मिल पा रहा। खांसी के साथ हमेशा कफ आता है। डॉक्टर सिर्फ दवा लिखकर पल्ला झाड़ लेते हैं।
नवी शेर, परतापुर।
'बुखार है। डॉक्टर के पास जाओ तो मौसम परिवर्तन की बात कहकर दवा लिखकर लौटा देते हैं। सही उपचार ही नहीं मिलता है। जांच तक नहीं करते हैं। पुराना पर्चा देखकर ही दवा लिख दी जाती है।
शैलेंद्र, बघिरुआ।