बरामदे में लैब, टपकता है कमरा
मैनपुरी: ये जिले की स्वास्थ्य सेवा का हाल है। कहीं डॉक्टर नहीं हैं तो कहीं व्यवस्थाएं इतनी बदहाल
मैनपुरी: ये जिले की स्वास्थ्य सेवा का हाल है। कहीं डॉक्टर नहीं हैं तो कहीं व्यवस्थाएं इतनी बदहाल हैं कि भगवान ही मालिक है। कई अस्पतालों के भवन तो इतने जर्जर हैं कि बरामदे में अस्पताल की लैब चलाई जा रही है। भवन कब गिर जाए, कहा नहीं जा सकता।
सुल्तानगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति कुछ ऐसी ही है। अस्पताल परिसर में चाहरदीवारी नहीं है। अस्पताल में आवारा जानवर घूमते रहते हैं। यहां मरीज को भर्ती करने के लिए एक कमरे में चार बेड पड़े हैं। लेकिन इस कमरे की छत इतनी टपकती है कि किसी को यहां भर्ती ही नहीं किया जा सकता। अस्पताल की बि¨ल्डग इतनी जर्जर है कि कब गिर जाए भगवान ही मालिक। कमरे टपकने के कारण अस्पताल की लैब बरामदे में चलाई जाती है। यहां मरीजों और अस्पताल कर्मियों के लिए शौचालय बना है लेकिन उसमें कबाड़ा भर दिया गया है। यहां चिकित्सक और कर्मचारियों के भवन हैं लेकिन वह भी बेहद जर्जर है। अस्पताल में मरीजों को उपचार दिलाने के लिए दो चिकित्सकों की तैनाती की गई है लेकिन व्यवस्थाएं धड़ाम होने के कारण कम ही मरीज यहां उपचार को आते हैं।
अब हाल देखिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कैथोली का। इस गांव में वर्ष 2004 में तत्कालीन सांसद धर्मेंद्र यादव ने अस्पताल स्वीकृत कराया था। लेकिन यहां 12 साल बाद भी किसी चिकित्सक की तैनाती नहीं की जा सकी है। मरीजों को उपचार दिलाने के नाम पर फार्मेसिस्ट गोपाल मिश्रा की तैनाती की गई है। डॉक्टर न होने पर मरीजों को या तो बीस किमी दूर कुसमरा आना पड़ता है या फिर कन्नौज के विशुनगढ़ अस्पताल जाना पड़ता है। इस अस्पताल की दूरी कैथोली से करीब दस किमी है। क्षेत्र के सकरामपुर, मदनापुर, हरीपुर, नगला बील, दौलतपुर, नवलपुर, चिन्हैया गांव के मरीजों को अस्पताल में चिकित्सक न होने के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
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जिले में चिकित्सकों की बेहद कमी है। जितने चिकित्सक हैं उन्हीं से काम चलाया जा रहा है। चिकित्सकों की तैनाती के लिए शासन को पत्र लिखा गया है। जर्जर भवन के लिए भी बजट प्राप्त होते ही उसका निर्माण कराया जाएगा।
डॉ. केके शर्मा, मुख्य चिकित्साधिकारी, मैनपुरी।
क्या कहते हैं लोग
अस्पतालों में चिकित्सकों की तैनाती नहीं हो तो फिर मरीजों को क्या लाभ। उन्हें कौन उपचार देगा। पहले सरकार को अस्पताल में चिकित्सकों की तैनाती करनी चाहिए।
गुमान ¨सह।
सुल्तानगंज अस्पताल बदहाल है। ऐसे में मरीज यहां आने से कतराते हैं। पहले अस्पताल की स्थिति सुधारी जाए ताकि मरीजों को भर्ती करने लायक वार्ड बन सके।
जयकुमार।
पूरे जिले में सरकारी अस्पतालों का यही हाल है। फार्मेसिस्ट के भरोसे अस्पताल चल रहे हैं। ऐसे में मरीजों को अस्पताल में उपचार से भरोसा उठ गया है।
प्रदीप कुमार।