बसपा में भगदड़, राहुल ने छोड़ी पार्टी
मैनपुरी: बसपा के कद्दावर नेता रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के पार्टी छोड़ने से जिले में भी बसपा में भगद
मैनपुरी: बसपा के कद्दावर नेता रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के पार्टी छोड़ने से जिले में भी बसपा में भगदड़ मच गई है। मौर्य के करीबी और बड़े राजनैतिक घराने से ताल्लुक रखने वाले राहुल राठौर ने 14 साल हाथी की सवारी करने के बाद बुधवार को पार्टी को अलविदा कह दिया। मौर्य के समर्थन में राहुल के बसपा छोड़ने को जिले में पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
वर्ष 2002 में बसपा से अपना राजनैतिक सफर शुरू करने वाले राहुल राठौर की बसपा के संगठन में भी मजबूत पकड़ थी। वर्ष 2004 में राहुल किशनी में उप ब्लॉक प्रमुख बने, तो 2008 में ब्लॉक प्रमुख निर्वाचित हुए। राहुल के पिता सुभाष राठौर भी किशनी के ब्लॉक प्रमुख रहे, तो मां सुमन राठौर जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं। राहुल राठौर विधानसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य के बेहद करीबी माने जाते हैं। वर्ष 2012 में विधानसभा चुनाव में बसपा ने राहुल राठौर को भोगांव से प्रत्याशी बनाया था। तब राहुल को जीत तो नहीं हासिल हुई, लेकिन बसपा प्रत्याशी के रूप में सबसे अधिक 42 हजार मत मिले थे। बुधवार को अचानक राहुल ने स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में बसपा छोड़ने का एलान कर दिया। उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा जिलाध्यक्ष एसपी ¨सह राणा को सौंप दिया।
राहुल ने कहा कि बसपा में लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं है। बूथ स्तर से लेकर जिला स्तर तक कार्यकर्ताओं का सम्मान नहीं है। यहां केवल धनबल की राजनीति होती है। उन्होंने कहा कि काफी दिनों से उनका बसपा में दम घुट रहा था। स्वामी प्रसाद मौर्य के जाने से बसपा का विधानसभा चुनाव में काफी नुकसान होगा। सियासी जानकार राहुल के पार्टी छोड़ने को बसपा के लिए बड़ा नुकसान बता रहे हैं।
अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के प्रदेश महामंत्री राहुल के बाबा शिववक्ष ¨सह राठौर की गिनती जिले के कद्दावर क्षत्रिय नेताओं में होती थी। वह तीन बार विधायक और मंत्री भी रहे। राहुल ने कहा कि उनकी आस्था स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ है और एक जुलाई को लखनऊ में श्री मौर्य के साथ रैली के साथ ही वह अपनी राजनीतिक दिशा तय करेंगे। उन्होंने आने वाले कुछ दिनों में भोगांव विधानसभा क्षेत्र से बसपा के कई लोगों के पार्टी छोड़ने का दावा किया।