..बस, इतना सा ख्वाब है
मैनपुरी: बचपन से ही आंखों ने दुनिया के रंग छीन लिए, लेकिन बुलंद हौसलों के बूते वो आज दूसरों की बे
मैनपुरी: बचपन से ही आंखों ने दुनिया के रंग छीन लिए, लेकिन बुलंद हौसलों के बूते वो आज दूसरों की बेनूर ¨जदगी में खुशियों के रंग भर रहे हैं। शास्त्रीय संगीत की सभी विधाओं में महारत हासिल कर चुके जन्मांध आर्जव जैन की कला का कायल होकर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने उन्हें राष्ट्रीय बालश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है।
शहर के कृष्णा टॉकीज रोड निवासी राजीव जैन के सुपुत्र आर्जव जैन जन्म से ही देख नहीं सकते हैं। इसके बावजूद उनकी असाधारण प्रतिभा का कोई सानी नहीं है। दिल्ली पब्लिक स्कूल आजाद नगर कानपुर में कक्षा 12 में पढ़ाई कर रहे आर्जव सामान्य बच्चों से किसी भी बात में कम नहीं हैं। ब्रेल लिपि से पढ़ाई करने के बावजूद सभी विषयों में उनका ज्ञान सामान्य बच्चों से कहीं ज्यादा है। उनकी सिर्फ पढ़ाई में ही रुचि नहीं है बल्कि शास्त्रीय संगीत में भी महारत हासिल है।
शास्त्रीय संगीत की सभी विधाओं में पारंगत आर्जव ने अपनी प्रतिभा सार्वजनिक मंचों पर भी साबित की है। उनकी असाधारण प्रतिभा से प्रेरित होकर तीन फरवरी 2016 को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने उन्हें राष्ट्रीय बालश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है। यह सम्मान प्राप्त करने वाले आर्जव पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने शारीरिक अक्षमता को मात देकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।
संगीत और शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने वाले आर्जव की उंगलियां कंप्यूटर पर भी कमाल दिखाती हैं। उनकी इस उपलब्धि पर उनके आवास पर आयोजित सम्मान समारोह में उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा रहा।
कार्यक्रम में डॉ. राममोहन, दीपक दास, प्रेममित्र लूथरा, मानिकचंद जैन, मुकेश जैन, पीयूष जैन, रोहित जैन, अर¨वद ¨सह, संजीव मिश्र, सूरज यादव, प्रसून जैन, सुधाकर गुप्ता, सुशील गुप्ता आदि मौजूद थे।