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टूटी उम्मीदें, आंखों से छलका सब्र का बांध

मैनपुरी: निगाह टीवी पर लगी थीं और पल-पल धड़कन बढ़ती जा रही थीं। कभी तालियां बजतीं तो कभी मन उदास हो ज

By Edited By: Published: Thu, 26 Mar 2015 08:15 PM (IST)Updated: Thu, 26 Mar 2015 08:15 PM (IST)
टूटी उम्मीदें, आंखों से छलका सब्र का बांध

मैनपुरी: निगाह टीवी पर लगी थीं और पल-पल धड़कन बढ़ती जा रही थीं। कभी तालियां बजतीं तो कभी मन उदास हो जाता। मगर अंत में वह हुआ, जिसकी उम्मीद नहीं थी। विश्वकप क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया के हाथों भारत की हार के साथ ही विश्व विजेता बनने का सपना टूटा तो आंखों से सब्र का बांध छलक गया। जीत के जश्न की तैयारियां धरी रह गईं।

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गुरुवार को विश्वकप क्रिकेट में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सेमीफाइनल मुकाबले का रोमांच क्रिकेट प्रेमियों के सिर चढ़कर बोला। सुबह मैच शुरू होते ही लोग टीवी से चिपक गए। शहर के करहल रोड स्थित मार्केट में तो मैच देखने के लिए प्रोजेक्टर लगाया गया था। सुबह ऑस्ट्रेलिया ने बल्लेबाजी शुरू की, तो हर विकेट पर भारतीय प्रशंसक जमकर झूमे। मैच देखने के लिए दुकानों और घरों में टीवी से लोग ऐसे चिपके कि सड़कों पर सन्नाटा पसर गया। ऑस्ट्रेलिया ने 328 रनों का लक्ष्य दिया, तो भारतीय प्रशंसकों को कोई दुख नहीं था। उन्हें यकीन था कि लगातार सात मैच जीतने वाली टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया को निश्चित हरा देगी। भारत ने बल्लेबाजी शुरू की तो शिखर धवन के हर शॉट पर तालियां बजीं। धवन का विकेट गिरा तो संकट के बादल छा गए। एक-एक कर भारतीय टीम के विकेट गिरते रहे और क्रिकेट प्रेमी मायूस होते गए। जब तक धोनी पिच पर रहे, तब तक उम्मीदें बंधी रहीं। विश्वकप जीतने का सपना पाले कई क्रिकेट प्रशंसकों की आंखों से आंसू छलक आए। जीत के जश्न की तैयारियां मन में ही रह गईं।

दफ्तर खाली, नहीं मिले कर्मचारी

क्रिकेट मैच का रोमांच ऐसा सिर चढ़ा कि सरकारी दफ्तर दिन भर खाली-खाली रहे। कोई कर्मचारी मैच देखने के लिए घर चला गया तो कोई टीवी पर नजरें गड़ाए रहा। दीवानी और कलक्ट्रेट बार एसोसिएशन के हॉल वकीलों से भर गए। सुबह से ही वकील टीवी देखने के लिए हॉल में जमा हो गए।

शिखर रुकते तो होती जीत

शिखर धवन का आउट होना क्रिकेट प्रशंसकों को खल गया। शिखर के आउट होने के बाद भारतीय टीम ताश के पत्तों की तरह बिखर गई। यदि शिखर कुछ देर और क्रीज पर टिकते तो निश्चित ही मैच हमारी झोली में होता।

नितिन तिवारी।

टीम इंडिया से बहुत उम्मीदें थीं। विश्वकप हमारे खाते में आता तो निश्चित गर्व होता। ऑस्ट्रेलियाई टीम हर मोर्चे पर बेहतर खेली। हमारे बल्लेबाज नहीं चल सके।

रामू गुप्ता।

टीम इंडिया की हार से बेहद निराशा हुई है। हमें बहुत उम्मीदें थीं। हमारे बल्लेबाज मैदान पर चल नहीं सके। यदि विराट टिक जाते तो मैच हमारे खाते में होता।

बाबू जैन।

शिखर धवन के आउट होने के बाद से मैच हमसे छिनता रहा। धोनी ने कुछ उम्मीद जगाई, लेकिन उनके आउट होते ही सब खत्म हो गया। ट्रॉफी जीतने का सपना टूट गया।

अíपत जैन।


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