मॉडल स्कूल में जुआरियों की धमाचौकड़ी
मैनपुरी : ये जिले का मॉडल स्कूल है। नवीन शिक्षा सत्र में यहां के बच्चों को सीबीएसई की तर्ज पर अंग्रे
मैनपुरी : ये जिले का मॉडल स्कूल है। नवीन शिक्षा सत्र में यहां के बच्चों को सीबीएसई की तर्ज पर अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई कराई जानी है। बेसिक शिक्षा विभाग चुने गए दो मॉडल स्कूलों को मिसाल बनाकर सीबीएसई की शिक्षा व्यवस्था को चुनौती देने की तैयारी कर रहा है। मगर विभाग की तैयारियों के दावों की पोल अभी से खुलती जा रही है। हाल यह है कि जिस मॉडल स्कूल में बच्चों का भविष्य संवारा जाना है, वह पूरा परिसर शराबियों और जुआरियों की ऐशगाह बन गया है।
सचिव बेसिक शिक्षा परिषद संजय सिन्हा के निर्देश के बाद बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा चौथियाना और कांशीराम कॉलोनी के प्राथमिक विद्यालय को बतौर मॉडल स्कूल के रूप में चुना गया है। अब जरा कांशीराम कॉलोनी के मॉडल स्कूल का हाल देखिए।
यहां प्रथम तल पर बने कमरों में तो किसी तरह से बच्चों को बिठाकर पढ़ाई कराई जाती है, लेकिन द्वितीय तल पर बने कमरों में शराबियों और जुआरियों का राज चलता है। हाल यह है कि कमरों की खिड़कियों में लगे कांच और बिजली के उपकरणों को अराजकतत्वों ने तोड़ दिया है।
यहां के शिक्षकों का कहना है कि छुट्टी होने के बाद विद्यालय परिसर में जुआरियों का जमावड़ा लगने लगता है। कई बार तो विद्यालय के समय पर ही जुआरी और शराबी विद्यालय परिसर के द्वितीय तल पर चढ़ जाते हैं। रोक-टोक करने पर अभद्रता पर उतारू हो जाते हैं।
कमरों में दूर-दूर तक ताश के फटे हुए पत्ते, गुटके और शराब के पाउचों के अलावा ईट-पत्थर और पान की पीकें पड़ी हुई हैं। दीवालों पर लिखे अश्लील शब्दों की वजह से कोई भी शिक्षिका दूसरे तल पर जाने की हिम्मत नहीं करती।
ये है मॉडल स्कूल का मानक
शासन द्वारा मॉडल स्कूलों का जो मानक निर्धारित किया गया है उसमें प्रधानाध्यापक को मिलाकर प्रत्येक स्कूल में पांच शिक्षक होंगे। व्यवस्था के तहत कक्षा तीन में अंग्रेजी माध्यम और कक्षा चार और पांच में अंग्रेजी एवं हिंदी दोनों माध्यमों से पढ़ाई करानी जानी है। विद्यालयों में दीवालों पर जागरुकता वाले स्लोगन लिखे जाने हैं।
बाउंड्रीवाल नहीं, कैसे पढ़ाएं हम
पुलिस लाइन से स्थानांतरित होकर कांशीराम कॉलोनी पहुंचीं प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षिकाओं का कहना है कि विद्यालय में बाउंड्रीवाल ही नहीं है। जो शौचालय है वह भी खुले में ही बना हुआ है। यहां पानी के भी इंतजाम नहीं हैं। दिन भर विद्यालय परिसर से अराजकतत्वों का आना-जाना लगा रहता है। ऐसे में हम खुद को यहां सुरक्षित महसूस नहीं करते। अराजकतत्व फब्तियां भी कसते हैं, पर क्या करें, शर्मिदगी के घूंट पीकर चुप रहना पड़ता है।
अधिकारी कहिन
'स्कूल परिसर में अराजकतत्वों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस की मदद ली जाएगी। टूटी बाउंड्रीवाल ठीक कराने को पीडब्ल्यूडी से कहा गया है। नवीन शिक्षा सत्र से पहले ही सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त हो जाएंगी।
प्रदीप कुमार वर्मा, बीएसए, मैनपुरी।