Move to Jagran APP

ढाय गिरने से पांच दबे

मैनपुरी, औंछा: दीपावली पर घर की लिपाई-पुताई के लिए मिंट्टी लेने गए दो किशोर समेत पांच लोग ढाय गिरने

By Edited By: Published: Tue, 21 Oct 2014 09:26 PM (IST)Updated: Tue, 21 Oct 2014 09:26 PM (IST)
ढाय गिरने से पांच दबे

मैनपुरी, औंछा: दीपावली पर घर की लिपाई-पुताई के लिए मिंट्टी लेने गए दो किशोर समेत पांच लोग ढाय गिरने से दब गए। दो घंटे तक प्रयास के बाद पांचों को ढाय से बाहर निकाला। इनमें से दो की हालत गंभीर है, उनके हाथ-पैर में चोट लगी है। उन्हें अस्पताल में भर्ती करा दिया है।

loksabha election banner

औंछा थाना क्षेत्र के गांव बल्लमपुर निवासी सोवेंद्र (18) पुत्र पृथ्वीराज सिंह, मुनेश (17) पुत्र प्रभुदयाल, अंशुल (18), उपनंद (15) पुत्रगण अशोक प्रकाश व रतन (15) पुत्र उम्मेद सिंह मंगलवार की सुबह करीब साढ़े 11 बजे गांव से कुछ दूरी पर घर की लिपाई करने के लिए मिंट्टी लेने गए थे। पांचों मिंट्टी की खोदाई कर रहे थे, तभी अचानक मिंट्टी ढह गई। पांचों ढाय के नीचे दब गए। अंशुल का थोड़ा शरीर ढाय के नीचे दबा था। इसलिए उसने किसी प्रकार अपने आपको बाहर निकाल लिया और दौड़कर गांव के लोगों को घटना की सूचना दी। तमाम ग्रामीण मौके पर पहुंच गए। जानकारी मिलते ही सीओ कुरावली सर्वजीत शाही पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों के सहयोग से मिंट्टी के अंदर पूरी तरह दबे अन्य चार को बाहर निकालने की कोशिश की गई, इसी बीच मौके पर दो जेसीबी भी पहुंच गई।

ढाय में से उपनंद व रतन की कराहने की आवाज आ रही थी। इसलिए मिंट्टी को बहुत सावधानी से हटाया जा रहा था, ताकि मिंट्टी के नीचे फंसे सभी लोगों को सुरक्षित निकाला जा सके। ग्रामीणों ने खुरपी-फावड़ा, जेसीबी व ट्रैक्टर की सहायता से करीब दो घंटे बाद मिंट्टी के नीचे दबे चारों को सुरक्षित निकाल लिया। उपनंद व रतन की हालत ठीक थी, जबकि सोवेंद्र व मुनेश अचेत हालत में थे। सोवेंद्र के एक हाथ की हड्डी टूट गई जबकि मुनेश के हाथ व पैर की हड्डी टूटी थीं। दोनों को अस्पताल पहुंचाया गया।

दो घंटे तक थमी रहीं सांसें

चार लोग मिंट्टी में दबे रहे और उनके परिजनों की सांसें दो घंटे तक अटकी रहीं। मां-बाप का रो-रोकर बुरा हाल था। मिंट्टी में आधा दबा अंशुल किसी प्रकार बाहर निकलकर आया तो घर जाकर परिजनों को अपने भाई उपनंद के मिंट्टी में दबे होने की जानकारी दी। घर से घबराई हुई मां कृष्णा मौके पर पहुंचीं। हर व्यक्ति से यही कहतीं कि किसी तरह बेटे को बाहर निकाल लो। जितनी देर मिंट्टी खोदने में लगी, उतनी देर में वह कभी बेहोश हो जाती तो कभी फफक कर रोने लगतीं। जैसे ही बेटे उपनंद को बाहर निकाला गया, वह उससे लिपटकर रोने लगीं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.