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मृत मोरों की संख्या सात हुई

By Edited By: Published: Wed, 08 May 2013 07:13 PM (IST)Updated: Wed, 08 May 2013 07:16 PM (IST)
मृत मोरों की संख्या सात हुई

महोबा, कार्यालय प्रतिनिधि : कबरई विकासखंड के रैपुरा खुर्द गांव में मंगलवार को गांव में मोरों के मरने की सूचना पर पहुंचे वन रक्षक ने महज दो मोरों को मुख्यालय लाकर पोस्टमार्टम कराया। जबकि सूत्रों की मानें तो विभागीय कर्मचारी द्वारा कार्रवाई के भय से बाकी मोरों को वहीं पर दफन कर दिया गया। ग्रामीणों का विरोध और अधिकारियों के दबाव के चलते दफन पांच और मोरों को फिर वापस निकाल, उनका पोस्टमार्टम कराया गया।

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बता दें कि मंगलवार को रैपुरा खुर्द के ग्रामीणों ने वन रक्षक को मृत मोरों के बारे में जानकारी दी थी। वन रक्षक द्वारा केवल दो मोरों को मुख्यालय लाकर उनका पोस्टमार्टम कराया गया। जबकि ग्रामीणों का कहना है कि बाकी मोरों को वहीं दफना दिया गया, ताकि संख्या में बढ़ोत्तरी न हो और कार्रवाई से बचा जा सके। ग्रामीणों की मानें तो वन विभाग के अधिकारियों ने मौके पर पहुंच दफन की गई मोरों को निकाल उनका पोस्टमार्टम कराया। उनके मुताबिक अभी भी जंगल में मृत मोरों पड़ी है, कईयों को तो जंगली जानवर खा गए।

कुचबंदियां प्रजाति के

लोग करते है शिकार

रैपुरा खुर्द के गुड्डन सिंह व मानवेंद्र सिंह बताते है कि मोरों के मरने का यह पहला मामला नहीं है, पूर्व में भी शिकारियों द्वारा जहरीला दाना डालकर राष्ट्रीय पक्षियों को मारा जा चुका है। रज्जन व रविंद्र सिंह के मुताबिक कुचबंदियां प्रजाति के लोग इनका शिकार करते है, जो जंगल में पानी के स्थान पर जहरीला दाना डालकर इन्हें मार गिराते है, और फिर इन्हें ले जाते है। वीरसिंह व देवी सिंह बताते है कि तीन चार दिन पूर्व भी यह लोग शिकार करके ले जा रहे थे, लेकिन उन्हें खदेड़कर भगा दिया गया।

-------------------------पोस्टमार्टम में जहरीला पदार्थ जैसा कोई तथ्य सामने नहीं आया है। पिछले दो तीन दिनों से पड़ रही भीषण गर्मी में हीट स्ट्रोक के चलते मोरों की मौत होना प्रतीत होता है।-जीके कटियार, पशु चिकित्साधिकारी

-राष्ट्रीय पक्षी का मामला है। यदि मोरों का शिकार हुआ है, तो यह गंभीर अपराध है। फिलहाल अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। पूरे प्रकरण की गहनता से जांच पड़ताल की जा रही है।-रमेश चंद्र, प्रभागीय वनाधिकारी महोबा

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