दूषित जल पीने को मजबूर हैं बच्चे
महराजगंज: परिषदीय स्कूलों की हालत सुधारने के लिए शासन हर साल भारी धनराशि खर्च कर रही है, लेकिन धन
महराजगंज:
परिषदीय स्कूलों की हालत सुधारने के लिए शासन हर साल भारी धनराशि खर्च कर रही है, लेकिन धन का सही मायने मे कितना उपयोग हो रहा है। यह स्कूलों को देखने से ही अंदाजा लग जा रहा है। इन स्कूलों में बच्चों को मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं का ढांचा ही इतना कमजोर है कि एक तरफ जहां उन्हें विद्लयों में हो रहे कमजोर पठन पठान से अक्षर ज्ञान की कठिनाइयों से हर रोज दो चार होना पड़ रहा है। वहीं पढाई के अलावा अन्?य सुविधाएं भी लुंज पुंज हैं। यहां तक कि विदायालयों में पानी पीने की बेतहर व्?यवस्?था तक नहीं की गयी है। जो हैंडपंप स्?थापित किए गए है, उनमें से अधिकांश या तो खराब पडे हैं या वह दूषित पानी दे रहे हैं। बावजूद इसके संबधित विभाग के अधिकारियों का नौनिहालों की समस्याओ से कुछ लेना देना नही है । पर्याप्त धनराशि मिलने के बाद भी न तो भवनों का रख रखाव ठीक है और न तो बच्चों के पढने लिखने की समुचित व्यवस्था है। अधिकतर विदयालयों के अगल बगल फैली गंदगी यह बताने के लिए काफी है कि परिसर की साफ सफाई शायद ही कभी होती हो। यहां बने शौचालय अपनी दुर्व्यवस्था पर आंसू बहा रहे हैं। आवश्यकता पड़ने पर शायद ही कोई छात्र -छात्रा इसका उपयोग करते हो। सबसे खराब हाल तो साफ पानी की है। ग्राम पंचायत, जलनिगम व विभागीय उदासीनता का आलम यह है कि वर्षों से खराब पड़े हैंडपंपों की सुधि लेने वाला कोई नहीं है । हालांकि इन सब सुबिधाओं के नाम विभाग धन खर्च के कागजी दावे ता करता है, लेकिन यह धन कहा खर्च होता है इसे विभाग के जिम्मेदार बखूबी जानते हैं ।