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..जब लम्हें में हमने जी ली पूरी ¨जदगी

महराजगंज: कभी कभी किसी महान शख्सियत से पलभर की मुलाकात पूरे युग से मिलने के समान होती है। ऐसे ही थे

By Edited By: Published: Thu, 30 Jul 2015 10:29 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2015 10:29 PM (IST)
..जब लम्हें में हमने जी ली पूरी ¨जदगी

महराजगंज: कभी कभी किसी महान शख्सियत से पलभर की मुलाकात पूरे युग से मिलने के समान होती है। ऐसे ही थे हमारे कलाम साहब, जब मैं राष्ट्रपति पदक के लिए उनसे मिली, तो ऐसा ही अनुभव हुआ और उसी क्षण लगा कि एक लम्हे में ही हमने पूरी ¨जदगी जी ली। आज कलाम साहब नहीं रहे, लेकिन वह लम्हा ताउम्र मेरे साथ ¨जदा रहेगा। ऐसा मानना 2002 में एपीजे अब्दुल कलाम के हाथों राष्ट्रपति पदक से सम्मानित शिक्षिका मालती देवी श्रीवास्तव का है।

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पुरस्कार प्राप्त करने के दौरान पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के साथ बिताए पलों को याद करते ही राजकीय जूनियर हाई स्कूल की हेड मास्टर मालती देवी की आंख भर आती हैं। किसी तरह आंसू रोकते हुए मालती बताती हैं कि इनके साथ बिताए क्षण अविस्मरणीय हैं। राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए नाम का चयन होते ही मन प्रफुल्लित हो गया। पुरस्कार महान वैज्ञानिक के हाथ मिलेगा यह सोचते ही मन आनंदित हो जाता। आखिर वह अविस्मरणीय क्षण भी आया जब कलाम साहब के हाथों पुरस्कार मिला। यूं तो वह आयोजन पूरी तरह से औपचारिक आयोजन होता है। उसके प्रोटोकाल और अनुशासन पहले से ही तय रहते हैं, लेकिन कलाम साहब ऐसे व्यक्ति थे। जो राष्ट्रपति भवन के सरकारी औपचारिक आयोजन भी नितांत माननीय और निजी स्पर्श देते थे। जब पदक लिया था उसी समय लगा कि एक लम्हें में पूरी ¨जदगी जी ली। उन्होंने कहा था कि शिक्षा के क्षेत्र में आपका योगदान अप्रतिम है। किंतु इसका लाभ अन्य विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को नहीं मिल पा रहा होगा। इसलिए गुणवत्ता युक्त शिक्षा को आप और विस्तार देते हुए अन्य विद्यालयों में भी अपने अनुभव से ¨सचित करें। बालिका शिक्षा पर उन्होंने विशेष जोर दिया और कहा कि अभिभावकों को बालिकाओं को स्कूल भेजने के लिए जीवन पर्यंत प्रेरित करते रहिएगा। हमारे पति जवाहर लाल नेहरू पीजी कालेज में प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त होने के बाद भी शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर कार्य कर रहे हैं। आज महान वैज्ञानिक हम सबके बीच नहीं हैं ¨कतु उनके आदर्श, उनकी प्रेरणा हम सबके जेहन में जीवन पर्यंत जीवित रहेंगी।


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