आशियाना उजड़ने का गम, ¨जदगी बख्श देने की खुशी
महराजगंज: नेपाल में भूकंप से मची तबाही के बीच भूकंप प्रभावित क्षेत्रों से लौट रहे लोगों चेहरों पर खौ
महराजगंज: नेपाल में भूकंप से मची तबाही के बीच भूकंप प्रभावित क्षेत्रों से लौट रहे लोगों चेहरों पर खौफ का मंजर अभी भी चस्पा है। दिलों में भूकंप में सब कुछ गंवाने का दर्द तो दूसरी ओर आंखों में भारत वापस आने की खुशी आंसुओं के रूप में छलक रही है। सोनौली स्थित कैंप में नेपाल के भक्तपुर से आए एक परिवार की कहानी भी कुछ इसी तरह है। नेपाल में अपना सब कुछ गंवा चुके राजस्थान का रहने वाला यह परिवार दिलों नेपाल से खुशियां नहीं न भूलने वाले गमों के समुंदर को समेट लाये हैं।
राजस्थान के रहने वाले जगत नरायण ने बातों बातों में अपनी कहानी कहानी कुछ यूं बताई। करीब पंद्रह वर्ष पूर्व जब पहली बार रोजी रोटी की तलाश में नेपाल गये तो उन्हें अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। मगर अपने हौसले और मेहनत से जैसे जैसे कारोबार बढ़ा। उन्होंने ने अपने पूरे परिवार को नेपाल बुला लिया। सब कुछ हंसी खुशी चल रहा था। मगर 25 अप्रैल को हिली धरती ने उनके मकान व दुकान को तबाह कर दिया। कुछ भी नहीं बचा। किसी तरह मुसीबतों का सामना कर वह अपने पैतृक गांव जा रहे हैं। भई बुद्ध प्रकाश व सुभाष का भी यही हाल है। पत्नी, पुत्री व भतीजी के आंखों में खौफ का मंजर अभी भी साफ दिख रहा है। सोनौली सीमा पर रोडवेज बस से जैसे ही अपने परिवार के साथ उतरे तो उनके जान में जान आयी। सबसे पहले उन्होंने पानी पीया और परिवार के कैंप में भोजन किया। थोड़ी थकान मिटी तो कुर्सी पर ही बैठे बैठे आंखों को बंद कर तबाही के मंजर को भूलने की कोशिश की। मगर उन्हें घर ले जा रहे बस ने वहां से रवाना होने का संदेशा भिजवा दिया। जाते जाते परिवार के सदस्यों ने कहा कि नेपाल में सब कुछ गंवाने के बाद उन्होंने अपना हौसला नहीं खोया है। उनका कहना है कि वह राजस्थान जाकर फिर अपने हौसले व मेहनत से अपना घर बनाएंगे। कुछ इसी तरह की कहानी गोंडा के रहने वाले विजय गुप्ता की भी है। जो काठमांडू में रह अपना कारोबार शुरू किया और भूकंप ने उसे तबाह कर उन्हें पुन: वतन लौटने को मजबूर कर दिया।