युवा क्रीड़ा योजना खत्म होने से खेल अभियान पर ग्रहण
महराजगंज : ग्रामीण क्षेत्रों में युवकों को शारीरिक रूप से मजबूत बनाने व खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए
महराजगंज : ग्रामीण क्षेत्रों में युवकों को शारीरिक रूप से मजबूत बनाने व खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए छह वर्ष पहले शुरू की गयी पंचायत युवा क्रीड़ा एवं खेल योजना व क्रीड़ा श्री का पद खत्म होने से गांवों में खेल पर ग्रहण लग गया। इससे तराई के इस जिले समेत पूरे प्रदेश के क्रीड़ाश्री बेकार हो गए और सभी जिलों के गांवों में उभर रहे खिलाड़ियों को झटका लगा है।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2008-2009 में जोर-शोर से पायका केंद्रों के माध्यम से पंचायत युवा क्रीड़ा एवं खेल योजना लागू की और इसके संचालन के लिए क्रीड़ा श्री की नियुक्ति की। इसे मूर्त रूप लेने में तीन वर्ष लगे और पहले वर्ष जिले में 158 पायका केंद्र चयनित हुए। 158 क्रीड़ाश्री की नियुक्ति हुई। दूसरे वर्ष 158 व तीसरे वर्ष 53 पायका केंद्र बने। इन सभी केंद्रों पर खेल मैदान विकसित किया गया। बालीबाल, बैडमिंटन, हाकी, फुटबाल आदि के किट खरीदे गए और गांवों के युवक अभ्यास कर प्रतिभा निखारने लगे। इससे उम्मीद जगी कि अब अभ्यास कर गांवों के खिलाड़ी आगे बढ़ेंगे और राज्य व राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में खिताब जीत जिले का नाम रोशन करेंगे। हालांकि तीन वर्ष बाद मार्च 14 में शासन ने क्रीड़ा श्री का पद खत्म कर दिया और इसी के साथ पंचायत युवा क्रीड़ा एवं खेल योजना भी समाप्त कर दी।
सरकार के इस निर्णय से तराई के इस जिले के ही दो सो से अधिक गांवों में उभर रहे खिलाड़ियों को झटका लगा है उधर क्रीड़ाश्री भी बेरोजगार हो गए। यह हाल पूरे प्रदेश का है। अचानक पद खत्म होने से परेशान सैकड़ों क्रीड़ाश्री ने पद की बहाली के लिए हाईकोर्ट की शरण ली है। क्रीड़ाश्री का आरोप है कि डेढ़ वर्ष से उन्हें मानदेय नहीं मिला। इससे वे परिवार समेत भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं।
अब पायका केंद्रों के संचालन की जिम्मेदारी युवक मंगल दल को सौंपने की तैयारी चल रही है। इसके लिए प्रशासन ने ब्लाक पर तैनात क्षेत्रीय युवा कल्याण अधिकारियों को जिम्मेदारी दी है कि वे क्रीड़ाश्री से रिकार्ड लेकर ग्राम प्रधान व युवक मंगल दल को हस्तगत करा दें।