किसानों की कर्ज माफी को लेकर कमर कस रही है योगी सरकार
चालू वित्तीय वर्ष के बजट में सरकार जो धनराशि इन मदों में आवंटित करती, उसका इस्तेमाल अब किसानों की कर्ज माफी के लिए कर सकेगी।
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। लघु और सीमांत किसानों के एक लाख रुपये तक के फसली ऋण माफ करने का फैसला ले चुकी योगी सरकार अब अपने एलान को अमली जामा पहनाने के लिए कमर कस रही है। मुख्यमंत्री खुद इस मुहिम की निगरानी कर रहे हैं। किसानों की कर्ज माफी को लेकर योगी की संजीदगी का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि 23 जून को होने वाली राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक की अध्यक्षता खुद मुख्यमंत्री करेंगे।
किसानों की कर्ज माफी के भारी-भरकम बोझ से निपटने के उपाय तलाश रही योगी सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विभिन्न विभागों के अधीन निगमों को वित्तीय संस्थाओं से 16,580 हजार करोड़ तक के कर्ज दिलाने का ताना-बाना बुन लिया है। वहीं प्रदेश में सड़कों के निर्माण व मरम्मत के लिए केंद्रीय सड़क निधि से दस हजार करोड़ रुपये के प्रस्तावों पर मुहर लगवाने में भी कामयाब रही है।
चालू वित्तीय वर्ष के बजट में सरकार जो धनराशि इन मदों में आवंटित करती, उसका इस्तेमाल अब किसानों की कर्ज माफी के लिए कर सकेगी। जुलाई में पेश किए जाने वाले अपने पहले बजट में योगी सरकार इसका इंतजाम भी करेगी। प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक कर्ज माफी पर 36,359 करोड़ रुपये का व्ययभार आएगा।
किसानों की कर्ज माफी की प्रक्रिया के संचालन और निगरानी के लिए जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में जिलास्तरीय समितियां गठित की जाएंगी। सरकार की चिंता यह है कि कर्जमाफी के दायरे में आने वाले किसानों को उनका वाजिब हक मिलने के साथ योजना का बेजा इस्तेमाल न हो।
यह भी पढ़ें: Champions Trophy : क्रिकेट के दीवाने ने ताश के पत्तों से बनाया ओवल स्टेडियम
मसलन यदि किसी किसान ने कई बैंकों से एक-एक लाख रुपये या उससे अधिक का कर्ज लिया हो तो ऐसा न हो कि जब सरकारी खजाने से पैसा बैंक को ट्रांसफर हो तो कर्जमाफी की रकम एक की बजाय सभी बैंकों को चली जाए। लिहाजा शासन स्तर पर बैंकों के साथ विचार विमर्श कर कर्ज माफी की प्रक्रिया को अमली जामा पहनाने की व्यवस्था को दोषरहित बनाने पर मंथन चल रहा है।
यह भी पढ़ें: जेल में रहते हुए हासिल किया गोल्ड मेडल, अब बीएचयू देगा नौकरी