Move to Jagran APP

लोक सेवा आयोग अध्यक्ष की नियुक्ति पर फैसला आज

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष अनिल यादव की नियुक्ति की वैधता को लेकर दाखिल याचिकाओं पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में मंगलवार को दिन भर सुनवाई चली। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने फैसला लिखाना शुरू कर दिया है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 13 Oct 2015 09:43 PM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2015 12:14 PM (IST)

लखनऊ। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष अनिल यादव की नियुक्ति की वैधता को लेकर दाखिल याचिकाओं पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में दिन भर सुनवाई चली। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने फैसला लिखाना शुरू कर दिया है। आज दोपहर से पहले ही फैसला आ जाने के आसार हैं।

loksabha election banner

सतीश कुमार व कई अन्य की तरफ से दाखिल जनहित याचिकाओं की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डा. डीवाई चंद्रचूड तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ कर रही है। याचिका पर अधिवक्ता सतीश चतुर्वेदी व ज्ञानेन्द्र श्रीवास्तव ने बहस की। उनका कहना था कि अध्यक्ष पद पर अनिल यादव की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ। सरकार ने आपराधिक केस लंबित होने की रिपोर्ट मंगाये बगैर एक दिन में नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली। इस पद पर 83 बायोडाटा आये थे जिन पर विचार नहीं किया गया।

सरकार की तरफ से महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह व सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एएसजीआइ पटवालिया ने याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति की और कहा कि सरकार को नियुक्ति का अधिकार है। स्थापित दिशा निर्देशों के तहत मुख्य सचिव की सर्च कमेटी ने विचार कर नियुक्ति की कार्यवाही की। अनिल यादव के खिलाफ ऐसे कोई साक्ष्य नहीं हैं जिससे कहा जाय कि वह पद के अयोग्य हैं। ऐसे में याचिकाएं खारिज की जाएं। दोपहर चार बजे कोर्ट ने अपना फैसला लिखाना शुरू कर दिया। अब तक दोनों पक्षों की बहस के मुख्य बिंदु निर्णय में लिखाये गए हैं। समयाभाव के कारण पूरा फैसला नहीं लिखाया गया। बुधवार को इसे पूरा कराया जाएगा। कोर्ट ने अनिल यादव के कार्यकाल की सीबीआइ जांच की याचिका को नियुक्ति की वैधता से अलग कर दिया है। उस पर बाद में सुनवाई होगी। अनिल यादव के मामले की वजह से प्रतियोगी छात्रों ने मुकदमे की कार्यवाही पर अपनी पूरी निगाह टिका रखी थी। वह दिन भर हाई कोर्ट परिसर में रहे।

हर मुकदमे में तय होगी सुनवाई की तारीख

लखनऊ। मुकदमों के निस्तारण में तेजी लाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई की नई व्यवस्था लागू की है। अब हर मुकदमे में अगली तारीख तय की जाएगी। इसे मंगलवार से ही लागू कर दिया गया है। इससे न सिर्फ वादकारियों को राहत मिलेगी बल्कि आने वाले समय में पेपरलेस कोर्ट की दिशा में भी कदम आगे बढ़ाने में आसानी होगी। नई व्यवस्था में एक जुलाई या इसके बाद की अर्जियों, याचिकाओं, अपीलों पर पारित आदेश के तहत मुकदमे सूचीबद्ध किए जाएंगे। इससे पहले के आदेशों पर अमल नहीं होगा बल्कि उनके लिए नए सिरे से अर्जी ली जाएगी। इसमें केस की पिछली तारीख, उस दिन पारित आदेश, समय पूर्व सुने जाने की आवश्यकता, एडवोकेट रोल में दर्ज वकील का नाम नंबर सहित, विपक्षी अधिवक्ता का नाम व एडवोकेट रोल नम्बर स्पष्ट रूप से लिखना होगा। अब सीनियर सिटीजन की अर्जी के साथ आयु का साक्ष्य देना होगा तथा नयी याचिकाओं के साथ एक प्रोफार्मा दाखिल करना होगा जिसमें केस याची व विपक्षी अधिवक्ता का ब्योरा, अपराध की जानकारी तथा अधीनस्थ न्यायालय या हाईकोर्ट में मुकदमे से संबंधित वादों का विवरण देना होगा। यदि याचिका में दोनों तरफ से एक से अधिक पक्षकार हैं तो उनकी भी पूरी जानकारी देनी होगी। मुकदमे की पेशी में जिला एवं खंडपीठ या एकलपीठ क्षेत्राधिकार का भी उल्लेख करना होगा।

हाईकोर्ट के उपनिबंधक लिस्टिंग के अनुसार यह व्यवस्था मुकदमों की सुनवाई तारीख की अनिश्चितता को समाप्त करने के लिए लागू की गई है। अभी तक मुकदमों की सुनवाई के लिए काजलिस्ट छपती है जिसे अगली जनवरी से बंद किया जाना है। मुकदमों के सूचीबद्ध होने की सूचना हाईकोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध होगा। साथ एक संस्था शुल्क लेकर वकीलों का सूचीबद्ध मुकदमों की सूचना एसएमएस या कई अन्य तरीकों से उपलब्ध कराएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.