यूपी विधानसभा में बिना विपक्ष 11 विभागों का बजट पारित
बसपा दलनेता लालजी वर्मा ने मुख्यमंत्री व संसदीय कार्यमंत्री की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए मंत्रिपरिषद के सदस्यों के व्यवहार को असंसदीय करार दिया।
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। विधानसभा में सत्ता पक्ष के रवैये से नाराज होकर समूचे विपक्ष ने गुरुवार को सदन की कार्यवाही का पूरे दिन बहिष्कार किया। इसके चलते न प्रश्नकाल हुआ न ही विभागीय बजट पर कटौती प्रस्ताव पेश किए गए। विपक्ष की अनुपस्थिति में कटौती प्रस्ताव लाए बिना ही औद्योगिक विकास विभाग, कृषि, लघु उद्योग, लोक निर्माण विभाग, खादी एवं ग्रामोद्योग, मनोरंजन कर, खेल, उद्यान, व्यावसायिक शिक्षा और सार्वजनिक उद्यम विभाग समेत 11 विभागों के बजट पारित किए गए।
बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संबोधन के बाद नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी को बोलने से रोकने से बना टकराव गुरुवार को चरम पर था। सुबह करीब दस बजे प्रमुख विपक्ष दल कांग्रेस, बसपा और सपा के दलनेताओं ने बैठक कर सदन की कार्यवाही के बहिष्कार का फैसला लिया।
प्रश्नकाल शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने आरोप लगाया कि विपक्ष का अपमान हो रहा है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है कि विपक्ष को इस तरह से धमकाया गया हो। चौधरी का कहना था कि उनके 40 वर्ष के राजनीतिक काल में ऐसा अवसर कभी नहीं आया जब सत्तापक्ष ने बहुमत के दंभ में विपक्ष को इस तरह कुचलने के प्रयास किए गए हो।
उन्होंने कहा कि अपमानित होने को विपक्ष सदन में नहीं बैठेगा। मुख्यमंत्री योगी के संबोधन पर एतराज दर्ज करते हुए कहा कि इस तरह की भाषा शोभा नहीं देती। सत्ता मनमानी पर उतारू है और पीठ (विधानसभा अध्यक्ष) का संरक्षण भी नहीं मिल रहा।
बसपा दलनेता लालजी वर्मा ने मुख्यमंत्री व संसदीय कार्यमंत्री की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए मंत्रिपरिषद के सदस्यों के व्यवहार को असंसदीय करार दिया। कांग्रेस के दलनेता अजय कुमार लल्लू ने कहा कि सदन लोकतंत्र का मंदिर होता है। यहां पक्ष विपक्ष दोनों को ही अपनी बात कहने का अधिकार है लेकिन, इन दिनों जिस तानाशाहीपूर्ण ढंग से सदन चलाया जा रहा है, उसे लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप नहीं माना जा सकता है।
यह भी पढ़ें: President Of India : अब लौकी-तोरई से महकेगी रायसीना हिल्स की रसोई
विपक्षी दलों द्वारा सदन से बहिर्गमन करने की घोषणा करने पर विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने समझाने की कोशिश की लेकिन विपक्षी दलितों और पिछड़ों की आवाज दबाने के आरोप लगाते हुए सदन से उठकर चले गए।
यह भी पढ़ें: लखनऊ के अफसरों ने खुद ही दबा दी अवैध खनन की वसूली