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यूपी एटीएस की गिरफ्त में एक के बाद एक आए तीन आइएसआइ एजेंट

फैजाबाद से आफताब की गिरफ्तारी के कुछ घंटों के अंदर सुरक्षा एजेंसियों ने लगातार कामयाबी हासिल कर तीन आइएसआइ एजेंट गिरफ्तार कर लिए है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 04 May 2017 11:41 PM (IST)Updated: Fri, 05 May 2017 11:40 PM (IST)
यूपी एटीएस की गिरफ्त में एक के बाद एक आए तीन आइएसआइ एजेंट

अब तक की गिरफ्तारी

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  • आफताब अली पुत्र वाजिद अली निवासी ख्वासपुर फैजाबाद। इन्हें फैजाबाद से गिरफ्तार किया गया। उसके पास से सैन्य क्षेत्रों के नक्शे, ढेरों जानकारियों के कागज व मोबाइल फोन बरामद हुआ।
  • अल्ताफ भाई कुरैशी पुत्र हनीफ भाई मूल निवासी दोरजी, राजकोट राजस्थान, हाल पता रूम नंबर 201, यूसुफ मंजिल डां, आनंद राव मेन रोड मुंबई। इनके पास से 70 लाख रुपये नकद बरामद किए गए हैं। यह राशि हवाला की बतायी गई है।
  • जावेद पुत्र इकबाल निवासी यूसूफ मंजिल अग्री पाड़ा मुंबई। इसके बाद से बरामद दस्तावेजों से उसके पाकिस्तान के आइएसआइ अधिकारियों के संपर्क में होने की तस्दीक होती है।

लखनऊ (जेएनएन)। फैजाबाद से आफताब की गिरफ्तारी के कुछ घंटों के अंदर सुरक्षा एजेंसियों ने लगातार कामयाबी हासिल की है। आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने देश में फैले आइएसआइ (इंटर स्टेट सर्विसेज, पाकिस्तान) एजेंटों को आर्थिक मदद मुहैया कराने वाले हवाला कारोबारी को मुंबई में गिरफ्तार किया है। मुंबई में धरे गए संदिग्ध जासूसों को लखनऊ लाया जाएगा। 

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आइएसआइ एजेंटों की सक्रिय होने की भनक के बाद आइबी, सैन्य खुफिया इकाई, यूपी इंटेलीजेंस और एटीएस (आतंकवाद निरोधक दस्ता) ने बुधवार को संयुक्त अभियान में फैजाबाद के ख्वासपुरा निवासी आफताब अली को पकड़ा था। उसने पूछताछ में पर्दाफाश किया कि पाकिस्तान में रह रही अपनी नानी से मुलाकात के लिए 2014 में पाकिस्तानी वीजा के लिए आवेदन किया। तीन बार आवेदन रद किया गया, चौथी बार दूतावास में कार्यरत मेहरबान अली के संपर्क में आया, जिसने आइएसआइ के लिए काम करने के बदले वीजा दिलाया। पाकिस्तान में कराची के ग्रीन टाउन मे नानी के घर रहा। यहां पहुंचने पर मेहरबान अली उसे आइएसआइ हेडक्वार्टर ले गया, जहां तीन माह की ट्रेनिगं ट्रेनिंग दी गई। 8 मई वर्ष 2016 में दोबारा अटारी बार्डर से वह पाकिस्तान गया। जहां आइएसआइ से छदम, नाम पते पर रहने की ट्रेनिंग लेकर 28 जून 2016 को वापस लौट आया। देश के विरुद्ध जासूसी करने लगा। उसके हैैंडलर मुंबई से उसे धनराशि उपलब्ध कराते थे।

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इस रहस्योद्घाटन के बाद एटीएस ने महाराष्ट्र पुलिस के साथ मुंबई के आनंदराव मेन रोड पर स्थित युसूफ मंजिल के फ्लैट नंबर-रूम नंबर 201 पर छापा मारकर गुजरात के मूल निवासी अल्ताफ भाई कुरैशी पुत्र हनीफ भाई को पकड़ा था, जिसके कब्जे से 70 लाख रुपए बरामद हुए थे। अल्ताफ से हासिल जानकारी के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने यूसुफ मंजिल, अग्री पाड़ा मुंबई निवासी जावेद पुत्र इकबाल को गिरफ्तार कर लिया। उससे पूछताछ में खुलासा हुआ है कि जावेद को पाकिस्तान में बैठे आइएसआइ आका आफताब को धन मुहैया कराने का निर्देश देते थे। जितनी राशि की हिदायत दी जाती थी, उतनी आफताब के बैैंक खातों में भेजी जाती थी। जावेद के पाकिस्तानी एजेंटों के साथ गहरे रिश्ते होने के साक्ष्य उसके मोबाइल फोन से मिले हैैं। संदेशों से साफ है कि पाकिस्तान से जितना धन आफताब को भेजने का आदेश मिलता था, जावेद उतना धन ट्रांसफर करता था।एटीएस सूत्रों का कहना है कि जावेद की गतिविधियों पर केन्द्रीय खुफिया लंबे समय से नजर रख रही थी। मगर सबूतों के अभाव पर कार्रवाई नहीं कर पा रही थी। यूपी एटीएस की कार्रवाई के बाद खुफिया एजेंसियां व महाराष्ट्र पुलिस भी उससे पूछताछ कर रही है। एटीएस के आईजी असीम अरूण का कहना है कि मुंबई में गिरफ्तार दोनों अभियुक्तों को पुलिस अभिरक्षा रिमांड पर लखनऊ लाया जाएगा। आफताब से पूछताछ चल रही है, कई महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। यह स्पष्ट है कि आफताब सिर्फ सूचनाएं भेजने का कार्य करता था। जिन अन्य लोगों को हिरासत में लिया गया है, उनसे पूछताछ चल रही है।

बड़े और छोटे अंकल !

सुरक्षा एजेंसियों के हत्थे चढ़ा आफताब दूसरे एजेंटों की तरह पाकिस्तानी दूतावास व आइएसआइ के आकाओं से कोड में ही बात करता था, मगर वह लंबी बात होने पर वह खुद ही कोड को डिकोड भी कर देते था। मसलन, वह भारतीय सेना के बड़े अधिकारियों के लिए बड़े अंकल शब्द का इस्तेमाल करता था। छोटे अधिकारियों को छोटे अंकल कहता था। आयुध साम्रग्री ले जाने वाली गाडिय़ों को बड़ी गाड़ी और सैन्य टुकडिय़ों को लश्करकहते हुए जानकारी देता था। उसमें फैजाबाद, लखनऊ से सेना के मूवमेंट, बटालियनों की नियुक्ति, अमृतसर में सेना की पलटन संख्या आदि की जानकारी भी आइएसआइ को दी थी। उससे पूछताछ कर रहे अधिकारियों का कहना है कि यह भी साफ है कि आफताब आइएसआइ को जो सूचनाएं देता था, उसमें ढेरों झूठी होती थीं। अलबत्ता मेहरबान अली से बातचीत में मुलाकात का स्थान बिलकुल स्पष्ट बताया था। होटल, सार्वजनिक स्थलों पर मुलाकात से हिचकता था।   


सर्जिकल स्ट्राइक के बाद जासूसी में तेजी 

अफताब से पूछताछ में पता चला है कि सीमा पर भारत की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सैन्य गतिविधियों की जानकारी के लिए आफताब का इस्तेमाल हो रहा था। उससे फोर्स के मूवमेन्ट पर सूचनाएं जुटाने को कहा गया था। आफताब की आइएसआइ के अधिकारियों की बातचीत के विश्लेषण से यह स्पष्ट है कि उसे सैन्य कर्मियों के साथ संबंध बढ़ाने का निर्देश मिले थे। कुछ सैन्य कर्मी उसके संपर्क में आ भी गए थे। मगर पहचान गहरी होने से पहले ही वह पकड़ लिया गया। हालांकि जांच एजेंसियां यह पता करने का प्रयास कर रही हैं कि उसने सैन्य कर्मियों से कोई गोपनीय इनपुट हासिल तो नहीं कर लिया। 

कैसे पकड़ में आए एजेंट

एटीएस अधिकारियों का कहना है कि 25 जनवरी को लखनऊ, हरदोई, सीतापुर में अवैध सिमबॉक्स चलाने वाले गिरोह के पर्दाफाश के समय जिन ढेरों नंबरों को संदिग्ध माना गया था, उसमें से आफताब का मोबाइल नम्बर था, जिसके विश्लेषण से संदेह और गहराया। इसके बाद सुरक्षा एजेंसियों ने अपने तरीकों से पड़ताल की और आखिर उसे पकडऩे में कामयाबी हासिल कर ली।


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