आतंकी जालः इस्लामिक शिक्षाविदों को मारना चाहते थे दहशतगर्द
आइएस कानपुर-लखनऊ माड्यूल के सदस्यों के इरादे बेहद खतरनाक थे। वह अपनी विपरीत विचारधारा के अपनी ही कौम को निशाना बनाना चाहते थे।
लखनऊ (जेएऩएऩ)। आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने हाजी कालोनी में सैफुल्लाह को मुठभेड़ में मार गिराने और उसके साथियों की गिरफ्तारी के साथ ही अमन-चैन की एक नई बुनियाद रखी है। दरअसल, आइएस कानपुर-लखनऊ माड्यूल के सदस्यों के इरादे बेहद खतरनाक थे। वह अपनी विपरीत विचारधारा के अपनी ही कौम को निशाना बनाना चाहते थे। राजधानी के एक महत्वपूर्ण इस्लामिक शिक्षण संस्थान के तीन शिक्षाविदों की हत्या के लिए रेकी तक की थी। अगर पकड़े नहीं जाते तो उनकी कारगुजारियों के बाद क्या स्थिति होती सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।
आइएस कानपुर-लखनऊ माड्यूल के प्रमुख गौस मोहम्मद खान और उप प्रमुख सैयद मीर हुसैन समेत कई लोगों के पास मिले दस्तावेज और पूछताछ के बाद एटीएस को कई चौंकाने वाली जानकारी मिली है। एटीएस के आइजी असीम अरुण ने बताया कि सैयद मीर हुसैन की एक डायरी हाजी कालोनी स्थित सैफुल्लाह के कमरे से मिली है। इस डायरी से अभी तक की पूछताछ में कई महत्वपूर्ण तथ्य मिले हैं। असीम अरुण ने नाम तो नहीं बताया लेकिन, स्वीकार किया कि माड्यूल के गुमराह युवकों ने लखनऊ स्थित शिक्षण संस्थान के तीन प्रमुख संचालकों की हत्या के लिए रेकी की थी। उन्होंने सुरक्षा कारणों से नाम गोपनीय रखा है और उनकी सुरक्षा के बड़े बंदोबस्त किये गये हैं। लखनऊ के इमामबाड़ा और बाराबंकी के देवाशरीफ समेत कई दरगाहों और पूजा स्थलों पर भी ये लोग बम विस्फोट करने वाले थे।
आइएस के खिलाफ बयान देने से थे खफा
खुरासान ग्रुप के सदस्य शिक्षाविदों द्वारा आइएस के खिलाफ बयान देने से खफा थे। इनमें एक शिक्षक की गाड़ी का नंबर, उनके बाहर निकलने का समय और उनके संपर्कों तक की रेकी की थी। वह आइएस के प्रभाव में गुमराह हो रहे युवाओं को रोकने के लिए अपील की थी। उन्हें खत्म करने के बाद आइएस के खिलाफ बोलने वाले मौलानाओं में दहशत फैलाना ही इनका इरादा था।
सलाफी विचारधारा के पैरोकार
सलाफी (अहले हदीस) के प्रभाव में आये गौस मोहम्मद खान और सैयद मीर हुसैन जैसे गुमराह लोग सलाफी विचारधारा के पैरोकार हैं। ये लोग शिया, सूफीज्म के साथ ही देवबंदी विचारधारा के भी विरोधी हैं। पूछताछ में इन लोगों ने सुरक्षा एजेंसियों को बताया कि हमारी इच्छा है कि मोहम्मद साहब के जमाने के समय इस्लाम की जो तस्वीर थी वही पूरी दुनिया में कायम हो। जैसे सीरिया और पाकिस्तान में ऐसे दहशतगर्द अपने ही कौम के लोगों को निशाना बनाते हैं, वैसे ही इनके निशाने पर अपनी ही कौम के बड़े-बड़े स्थल हैं। ये अपने लोगों को दावा देकर बोलने वाले थे कि या तो हमारी तरह हो या फिर मरो।
युवाओं को किया गुमराह
एटीएस के आइजी असीम अरुण ने बताया कि इस गिरोह के पास से बरामद लैपटाप में आतंकवादी घटनाएं करने संबंधी साहित्य मिला है। चौंकाने वाली बात यह है कि इन अंग्रेजी अभिलेखों का हिंदी अनुवाद किया गया। इसकी पीडीएफ फाइल बनाकर अन्य युवाओं को गुमराह करने के लिए प्रसारित किया। यह कार्य गौस मोहम्मद द्वारा किया जाता रहा है। गौस की हिन्दी, अंग्रेजी समेत कई भाषाओं पर पकड़ है। कमांडो द्वारा रूम इंट्री की स्थिति में इन लोगों ने रुम डिफेंस की पूरी योजना बनाई थी। इसका नक्शा हुसैन की डायरी में मिला।