स्मार्ट सिटी योजना अडानी जैसे लोगों की जेब भरने के लिए : आजम
आजम खां ने केंद्र की बहुचर्चित स्मार्ट सिटी योजना पर प्रहार करते हुए कहा कि यह अडानी जैसे लोगों की जेब भरने के लिए है। देश के 72 करोड़ किसानों का पेट भरने का कोई इंतजाम नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी सिर्फ सपने बेचने में माहिर हैं। वह बादशाह हैं, सेवक
लखनऊ। आजम खां ने केंद्र की बहुचर्चित स्मार्ट सिटी योजना पर प्रहार करते हुए कहा कि यह अडानी जैसे लोगों की जेब भरने के लिए है। देश के 72 करोड़ किसानों का पेट भरने का कोई इंतजाम नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी सिर्फ सपने बेचने में माहिर हैं। वह बादशाह हैं, सेवक नहीं। रामपुर में सौ करोड़ की लागत से बने सीवरेज सिस्टम के लोकार्पण अवसर पर आजम ने कहा कि बादशाह स्मार्ट सिटी बना रहे हैं, लेकिन देश के किसान परेशान हैं। केंद्रीय राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी पर निशाना साधते हुए आजम ने कहा कि वह एक बार रामपुर से लोकसभा सदस्य बन गए और फिर वजीर भी बन गए। कह रहे हैं कि उन्होंने रामपुर को स्मार्ट सिटी बनवा दिया। उनकी हैसियत क्या है, एक सड़क नहीं बनवा सकते, पहले खुद तो अच्छा सा विभाग ले लें। आरक्षण को लेकर गुजरात में हुए बवाल पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या हुआ गुजरात में? 35 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति जलाकर राख कर दी गई। बादशाह चाहते थे कि आगजनी हो। हिन्दू-मुसलमान के बीच दंगा हो। हालात इतने बिगड़ गए कि बादशाह को कहना पड़ा कि ङ्क्षहसा से कुछ नहीं मिलेगा। उधर बछरायूं में हुई सभा में आजम ने कहा कि हिंदुस्तान का उत्थान शहरों से नहीं, बल्कि स्मार्ट गांवों से होगा। गुजरात समेत भाजपा शासित राज्यों में लोकतंत्र ही नहीं है। शांतिपूर्ण आंदोलन का भी अधिकार नहीं है। आरएसएस पर निशाना साधते हुए आजम ने कहा कि इसका मंसूबा मुस्लिमों को बांटना है। सिर्फ चार सांसद रखने वाले एक मुस्लिम नेता बीजेपी एजेंट हैं। आरएसएस के हाथों बिके हुए हैं। ऐसे लोग मुस्लिम बिरादरी को नापाक करना चाहते हैं।
घर संभाल नहीं पा रहे देश क्या खाक संभालेंगे
संसदीय कार्य मंत्री मोहम्मद आजम खां ने रामपुर में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ जहर उगला। एक कार्यक्रम में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि बादशाह अपना घर संभाल नहीं पा रहे हैं देश क्या खाक संभालेंगे। पहले वह अपने घर की आग बुझाएं उसके बाद पूरे देश की बात करें। आजम यहीं नहीं रुके बोले स्मार्ट सिटी अडानी जैसे लोगों के लिए बनाए जा रहे हैं। उसकी जगह अगर किसानों के हितों की योजनाएं बनती और लागू की जाती तो देश का किसान बदहाली के आंसू नहीं बहाता।