टैक्स कांफ्रेंसः मजबूत अर्थव्यवस्था के बिना विकास संभव नहीं
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश आरके अग्रवाल ने कहा कि समय से कर का भुगतान करना हर नागरिक का नैतिक कर्तव्य है। अधिवक्ता हों, उद्यमी हों या फिर हों व्यापारी, सभी को इस बारे में ध्यान रखना चाहिए कि करदाताओं के दिए गए टैक्स से ही देश की अर्थव्यवस्था चलती है।
लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश आरके अग्रवाल ने कहा कि समय से कर का भुगतान करना हर नागरिक का नैतिक कर्तव्य है। अधिवक्ता हों, उद्यमी हों या फिर हों व्यापारी, सभी को इस बारे में ध्यान रखना चाहिए कि करदाताओं के दिए गए टैक्स से ही देश की अर्थव्यवस्था चलती है। न्यायाधीश श्री अग्रवाल आज आल इंडिया फेडरेशन ऑफ टैक्स प्रैक्टिशनर्स (एआइएफटीपी) एवं इनकम टैक्स बार एसोसिएशन वाराणसी की ओर से वाराणसी में आयोजित दो दिवसीय नेशनल टैक्स कांफ्रेंस-२०१५ 'मंथन' के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि विचार व्यक्त कर रहे थे।
कर सरलीकरण होना जाना चाहिए
न्यायाधीश आरके अग्रवाल ने कहा कि किसी भी देश के विकास के लिए अर्थव्यस्था का मजबूत होना आवश्यक है। प्राचीन काल में राजाओं और शासकों द्वारा चौथ लागू किया गया था। इसे कर के रूप में देखा जाता रहा है। चाणक्य ने अपने पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में भी लिखा है कि राजा को कर इस प्रकार लेना चाहिए, जैसे मधुमक्खी फूलों से रस लेकर मधु का निर्माण करती है। आशय यह कि करों का सरलीकरण किया जाना चाहिए, ताकि हर नागरिक आसानी से करों का भुगतान कर सके। उन्होंने कहा कि कर की चोरी न किए जाएं। आयकर विवरणी में कोई बात न छुपाएं। कर बचाने के लिए आय के स्रोत को भी कदापि न छुपाएं, ऐसा करना कानूनन गलत है।
कानून की शरण लेना उचित
सरकारी नीतियों के अनुसार कर देना अनिवार्य है। यदि इसमें किसी प्रकार की विषमता हो तो कानून की शरण में जाना उचित होगा। वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीहर्ष सिंह ने अतिथियों को स्मृति चिह्न व अंगवस्त्रम् प्रदान कर सम्मानित किया। विषय स्थापना वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद शुक्ला, स्वागत आयकर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विपिन शंकर गुप्ता, संचालन वीरेंद्र खन्ना व धन्यवाद ज्ञापन मुकुल गुप्ता ने किया।
काले धन का लेखा-जोखा नहीं
नेशनल कांफ्रेंस 'मंथन के विशिष्ट अतिथि, भारत सरकार के सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर केवी चौधरी ने कहा कि काला धन विदेश चला जाता है। इसका कोई लेखा-जोखा नहीं है। इसके नियामक कानून का होना आवश्यक है। जिन लोगों ने विदेशों में काला धन रखा है, उनके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार के कानून फक्का यानी फारेन अकाउंट टैक्स कंप्लेंस के अनुसार यदि कोई व्यापारी १०० डॉलर का माल विदेश में निर्यात करता है और उस पर कोई शिकायत होती है तो व्यापारी का ३० डॉलर टैक्स के रूप में कट जाता है, जो अनुचित है। मेरा मानना है कि किसी व्यापारी का मुनाफा ३० फीसद तक नहीं हो सकता। ऐसे कानूनों का बारीकी से अध्ययन होना चाहिए।
सख्त लेकिन सरल हो कानून
केवी चौधरी ने कई आयामों को समायोजन करते हुए कहा कि कानून सख्त, लेकिन सरल होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि नई तकनीक आने से भ्रष्टाचार पर अंकुश तो लग रहा है, लेकिन नई समस्या पैदा हो गई है। वित्तीय साइबर क्राइम पर सतर्क नजर रखने की जरूरत है।
... ताकि टैक्स मिले अधिक
एआइएफटीपी के पूर्व अध्यक्ष व हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता भरतजी अग्रवाल ने कहा कि यहां जो चर्चा होगी, वह आर्थिक क्षेत्र के समाधान तथा सरकार के उत्तरदायित्वों की ओर इंगित करेगी। जहां कानून का प्रश्न होता है, वहां कानून का प्रतिवादन भी होना चाहिए। गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) की तरफ इंगित करते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी कानून बनाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह सरल, तार्किक व सुगम हो, ताकि करदाता आसानी से टैक्स जमा कर सके और सरकार को अधिक से अधिक राजस्व प्राप्त हो सके।
मंथन से मिलेंगे सार्थक नतीजे
एआइएफटीपी केराष्ट्रीय अध्यक्ष जेडी नानकानी ने कहा कि वर्ष १९७६ में गठित इस संस्था ने सरकार को समय-समय पर कई अर्थपूर्ण सुझाव दिए हैं जिसे सरकार ने लागू भी किया है। मंथन के माध्यम से जहां हम करदाताओं के समस्याओं के बारे चिंतन करेंगे, वहीं सरकार के राजस्व के विषय में चर्चा भी करेंगे।
भरतजी को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड
आल इंडिया फेडरेशन ऑफ टैक्स प्रैक्टिशनर्स व इनकम टैक्स बार एसोसिएशन की ओर से शनिवार को वाराणसी में आयोजित दो दिवसीय नेशनल टैक्स कांफ्रेंस में एआइएफटीपी के पूर्व अध्यक्ष एवं इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता भरतजी अग्रवाल को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान कर सम्मानित किया गया। यह सम्मान बांबे हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता पीसी जोशी व इनकम टैक्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विपिन शंकर गुप्ता ने उन्हें प्रदान किया। अधिवक्ता द्वय ने कहा कि भरतजी के व्यक्त्वि व कृतित्व को देखते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उन्हें वर्ष 1997 से वरिष्ठ अधिवक्ता नियुक्त किया। साथ ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय में ही इनकम टैक्स का वरिष्ठ स्थायी अधिवक्ता नियुक्त किया गया। कुशल नेतृत्व के कारण ही वह उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के चेयरमैन रहे। राष्ट्रीय क्षितिज पर देखा जाए तो इंडिया फेडरेशन ऑफ टैक्स प्रैक्टिशनर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। अदम्य बौद्धिक ऊर्जा के कारण ही मीडिया जगत के प्रमुख समाचार पत्र जागरण प्रकाशन लि. के स्वतंत्र निदेशक के रूप में भी वर्ष 2005 से अपनी अहर्निश सेवाओं से प्रबुद्धजन को लाभ पहुंचा रहे हैं। भरतजी वर्ष 1997 में इनकम टैक्स विभाग द्वारा सुमन सम्मान से नवाजा गया था। इनकी सुख्याति न सिर्फ देश के अपितु यूके व यूएसए में भी आयोजित विभिन्न टैक्स कांफ्रेंस में आपके व्याख्यान को सराहा गया। अर्थव्यवस्था के सजग प्रहरी के रूप में भी मद्रास चैंबर ऑफ कॉमर्स में सीनियर फैकल्टी के रूप में कई वर्षों तक सेवाएं देते रहे हैं। साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न संस्थाओं द्वारा अनेक पदों व अलंकरणों से सुशोभित होते रहे हैं।