Move to Jagran APP

स्ट्रोक के मरीजों में निमोनिया के खतरे को बताएगी ये नई तकनीक Lucknow News

एसजीपजीआइ के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने बताया 82 फीसद संवेदनशील है ए2डीएस2 स्ट्रोक ग्रस्त एक तिहाई में दो से सात दिन में होता है निमोनिया।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 08:02 AM (IST)Updated: Sun, 20 Oct 2019 08:02 AM (IST)
स्ट्रोक के मरीजों में निमोनिया के खतरे को बताएगी ये नई तकनीक Lucknow News

लखनऊ [कुमार संजय]। भारत में हर वर्ष एक लाख में 107 लोग स्ट्रोक का शिकार होते हैं। स्ट्रोक के बाद निमोनिया परेशानी का एक बड़ा कारण बनती है। देखा गया है कि स्ट्रोक संबंधी निमोनिया इसके एक तिहाई रोगियों में हुआ। एक महीने के भीतर तीन गुना मृत्यु दर को बढ़ाने के लिए ये जिम्मेदार है। यह मुख्य रूप से बीमारी की शुरुआत के बाद दो से सात दिनों के भीतर प्रकट होता है। विशेषज्ञों ने निमोनिया की आशंका भांपने के लिए एक विशेष पैमाना तैयार किया है। इसे ए2डीएस2 नाम दिया है। यह नया पैमाना स्ट्रोक संबंधित निमोनिया को काफी पहले भांप लेगा।

loksabha election banner

इस पैमाने के स्कोर में उम्र, हार्ट रेट, निगलने में परेशानी, सेक्स और स्ट्रोक की गंभीरता को शामिल किया गया। विशेषज्ञों ने इस पैमाने पर स्ट्रोक के 46 मरीजों में निमोनिया की आशंका देखने के बाद कहा कि यह पैमाना स्ट्रोक एसोसिएटेड निमोनिया की भविष्यवाणी करने में 82 फीसद तक हाई सेंसिटिव (सटीक) है। लोहिया संस्थान के डॉ. एल व्यास, डॉ. दिनकर, डॉ. प्रदीप, डॉ. अजय सिंह, डॉ. अब्दुल और डॉ. अनुपम ठक्कर ने  'ए2डीएस2 स्कोर टू प्रीडिक्ट द रिस्क ऑफ स्ट्रोक एसोसिएटेड निमोनिया इन एक्यूट स्ट्रोक विषय पर शोध किया। इसे जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस इन रूरल प्रैक्टिस ने स्वीकार करते हुए काफी उपयोगी बताया है। 

ये है स्ट्रोक का कारण

पीजीआइ के ही न्यूरोलॉजिस्ट प्रो. संजीव झा कहते हैं कि उच्च रक्तचाप, मधुमेह, उपापचयी (मेटाबोलिक) सिंड्रोम, मोटापा, डिस्लिपिडेमिया, धूमपान, तंबाकू सेवन, आलिंद फिब्रिलेशन (हार्ट रेट में बदलाव), आहार में फल और हरी सब्जियों की कमी और गतिहीन जीवन शैली इसके मुख्य कारक हैं। स्ट्रोक प्रबंधन में कारक, तीव्र स्ट्रोक देखभाल और स्ट्रोक से बचे लोगों में दीर्घकालिक पुनर्वास का नियंत्रण शामिल है।

निमोनिया के अलावा स्ट्रोक के बाद परेशानी

पीजीआइ की न्यूरोलॉजिस्ट प्रो. विनीता कहती हैं कि पोस्टस्ट्रोक रोगियों में चिकित्सीय जटिलताओं में मुख्य रूप से निमोनिया, मूत्र मार्ग में संक्रमण, कार्डियक डिसफंक्शन, डिस्पैजिया, उच्च रक्तचाप, हाइपरथर्मिया, डीप वेन थ्रम्बोसिस, पल्मोनरी एम्बोलिज्म, बेडसोर, पोस्ट स्ट्रोक अवसाद सहित कई परेशानी होती है जो और बीमार बनाती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.