राज्य निर्वाचन आयोग का सरकार को झटका
राज्य सरकार के अयोध्या-फैजाबाद और मथुरा नगर पालिका परिषद को नगर निगम बनाने की कवायद पर ब्रेक लग गया है। राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रदेश सरकार को झटका देते हुए ग्राम पंचायतों से नई नगर पंचायतों के गठन के साथ ही मौजूदा नगरीय निकायों के सीमा विस्तार पर रोक लगा
लखनऊ (अजय जायसवाल)। राज्य सरकार के अयोध्या-फैजाबाद और मथुरा नगर पालिका परिषद को नगर निगम बनाने की कवायद पर ब्रेक लग गया है। राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रदेश सरकार को झटका देते हुए ग्राम पंचायतों से नई नगर पंचायतों के गठन के साथ ही मौजूदा नगरीय निकायों के सीमा विस्तार पर रोक लगा दी है। पंचायत चुनाव के मद्देनजर आयोग ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस संबंध में किसी तरह की अनुमति देने से साफ इन्कार कर दिया है।
प्रदेश सरकार लंबे समय से धार्मिक नगरी अयोध्या-फैजाबाद और मथुरा के चौतरफा विकास के लिए उन्हें नगर पालिका परिषद से नगर निगम बनाने की कवायद कर रही है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की घोषणा पर दोनों नगर निगम बनाने के साथ ही बड़ी संख्या में नगर पंचायतों को नगर पालिका परिषद तथा ग्र्राम पंचायतों को नगर पंचायत बनाने की भी तैयारी है। नगर विकास विभाग कई निकायों के गठन के प्रस्ताव पर सुझाव व आपत्तियां भी मांग चुका है। वैसे तो सुझाव व आपत्तियों के निस्तारण के बाद संबंधित प्रस्ताव को कैबिनेट की हरी झंडी मिलते ही कई नगरीय निकायों के बनने व सीमा विस्तार का रास्ता साफ था लेकिन इस संबंध में सरकार की आयोग से मांगी गई अनुमति पर आयोग के फैसले से अब पूरी प्रक्रिया ही रुक जाएगी।
आयोग ने मुख्य सचिव आलोक रंजन को पत्र लिखकर स्पष्ट तौर पर कहा है कि ग्राम पंचायतों को नगर पंचायत का दर्जा देने या नगर पंचायत की सीमा विस्तार से ग्र्राम पंचायतों की सीमा प्रभावित होगी। ऐसे में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी के मद्देनजर मतदाता सूची को अंतिम रूप देने का काम समयबद्ध रूप से पूरा नहीं हो सकेगा जिससे समय से चुनाव न हो पाने पर सूबे में संवैधानिक संकट की स्थिति खड़ी होगी। इन परिस्थितियों में आयोग ने अब नई निकायों के गठन व सीमा विस्तार की अनुमति देने से साफ इन्कार कर दिया है।
गौर करने की बात यह है कि आयोग के इन्कार से चूंकि जिन ग्राम पंचायतों को नगर पंचायत बनाने की तैयारी थी या जिन नगर पंचायत व नगर पालिका परिषद के सीमा विस्तार या फिर उन्हें नगर निगम बनाने के प्रस्ताव थे वे सभी लटक गए हैं। ऐसे में नगर पंचायत बनने वाले ग्राम पंचायत और सीमा विस्तार में शामिल ग्राम पंचायतों में आयोग द्वारा पंचायत के चुनाव कराए जाएंगे। ऐसी स्थिति में चुनाव बाद उन्हें नगरीय निकाय बनाने या उन्हें निकाय में शामिल करने की दशा में चुने हुए प्रतिनिधि कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं जिससे नगरीय निकाय के गठन व सीमा विस्तार के मामले आगे भी लटक सकते हैं।