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अवैध खनन मामले की जांच में सीबीआइ के घेरे में छह आइएएस अधिकारी

अवैध खनन मामले में सीबीआइ जांच की आंच यूपी कैडर के छह आइएएस अधिकारियों तक पहुंच गई है। इनमें दो महिला अधिकारी भी हैैं।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 25 May 2017 08:59 PM (IST)Updated: Fri, 26 May 2017 08:10 PM (IST)
अवैध खनन मामले की जांच में सीबीआइ के घेरे में छह आइएएस अधिकारी

लखनऊ (जेएनएन)। अवैध खनन मामले में सीबीआइ जांच की आंच यूपी कैडर के छह आइएएस अधिकारियों तक पहुंच गई है। इनमें दो महिला अधिकारी भी हैैं। सीबीआइ अधिकारियों ने आज इनमें से एक भूतत्व एवं खनिकर्म महकमे के पूर्व प्रमुख सचिव गुरदीप सिंह से लंबी पूछताछ की। अन्य अधिकारियों से जल्द पूछताछ की तैयारी है। ध्यान रहे कि अवैध खनन की जांच की मांग लेकर दाखिल याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महीनों पहले सीबीआइ जांच का आदेश दिया था मगर तत्कालीन सपा सरकार व ठेकेदारों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर यह आदेश स्टे करा दिया।

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सुप्रीम कोर्ट में फिर याचिका दाखिल हुई तो इस बार अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश पर अमल का निर्देश दिया। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुए इस आदेश पर सीबीआइ ने दिल्ली में मामला दर्ज कर जांच शुरू की। बांदा, कौशांबी, हमीरपुर, शामली में प्रारम्भिक जांच में हासिल साक्ष्यों के आधार पर सीबीआइ ने वहां के जिलाधिकारी रहे आइएएस अधिकारियों, भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग में निदेशक व विशेष सचिव को घेरे में लेना शुरू किया। गुरुवार को सीबीआइ के विवेचक केपी शर्मा ने गुरदीप सिंह से खनिज निदेशालय में तकरीबन दो घन्टे तक पूछताछ की। सूत्रों का कहना है कि उनसे मुख्य रूप से गलत अवधि का परमिट जारी करने, हमीरपुर के एक ही परिवार को कई-कई पट्टा देने के बारे में पूछताछ की गई। पूछताछ करने वाले अधिकारियों ने इस कारोबार में राजनीतिक पहुंच वालों के दखल के बारे में कई बार पूछा।

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पूछताछ की जद में कई

बी. चन्द्रकला, संध्या तिवारी, संतोष राय, विवेक वाष्र्णेय और भवनाथ जांच के घेरे में हैैं। बी. चन्द्रकला, संध्या तिवारी व भवनाथ जिलाधिकारी रहे हैैं। संतोष राय लंबे समय तक भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग में विशेष सचिव के साथ निदेशक भी रहे। सीबीआइ अधिकारी ïवर्ष 2013 के जिन पट्टों की गहराई में जाने का प्रयास रह रहे हैैं, उनसे संबंधित कुछ आदेश विवेक वाष्र्णेय के कार्यकाल के हैैं। जिस अवधि के लिए खनन का पट्टा जारी होता है, उस अवधि में ठेकेदार अगर वाजिब कारणों से खनन नहीं कर पाता है तो डीएम बाधित अवधि का परमिट जारी कर देता है। सीबीआइ सूत्रों का कहना है कि इस बार हुआ यह कि ठेकेदार ने पट्टे की अवधि में तो खनन किया ही, ऊपर से बाधित अवधि का परमिट भी हासिल कर लिया। 

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