'रजनी' बनकर पिया घर गई शबीना
धर्म की दीवार सुलतानपुर की शबीना (काल्पनिक नाम) के कदम न रोक सकी। कोर्ट ने भी पहलुओं की पड़ताल की, उसके जज्बातों को समझा और आखिरकार फैसला भी उसके हक में हो गया। कल अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उसकी सिपुर्दगी के प्रार्थना पत्र पर स्वतंत्र इच्छा की मुहर लगा
लखनऊ। धर्म की दीवार सुलतानपुर की शबीना (काल्पनिक नाम) के कदम न रोक सकी। कोर्ट ने भी पहलुओं की पड़ताल की, उसके जज्बातों को समझा और आखिरकार फैसला भी उसके हक में हो गया। कल अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उसकी सिपुर्दगी के प्रार्थना पत्र पर स्वतंत्र इच्छा की मुहर लगा दी। अब वह अपने पति सूरज के साथ रजनी बनकर रहेगी।
मामला अमेठी जिले के गौरीगंज के एक गांव का है। यहां 13 मई 2014 को शबीना ने घर छोड़कर आर्यसमाज मंदिर में सूरज मौर्य के साथ सात फेरे ले लिए। लड़की के भाई ने सूरज के खिलाफ अपहरण का मुकदमा गौरीगंज में दर्ज कराया। मामला दो समुदायों से जुड़ा होने के कारण पुलिस ने जांच पड़ताल तेज कर दी। लड़की बरामद हुई तो उसकी सिपुर्दगी का मामला उठा। प्रकरण इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा। कोर्ट के निर्देश पर लड़की का बयान दर्ज हुआ। शबीना उसने स्वीकार किया कि उसने स्वेच्छा से धर्मांतरण कर विवाह किया है। विवेचक ने सिपुर्दगी के लिए प्रार्थना पत्र दिया। इस पर सूरज के पिता रामदयाल मौर्या ने भी उसे बहू के रूप में मानते हुए सिपुर्दगी की मांग की। इसके बाद प्रकरण अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अनिल कुमार सेठ के न्यायालय पहुंचा। जहां उन्होंने कल सभी तथ्यों की पड़ताल के बाद रजनी को बालिग मान उसकी इच्छानुसार सूरज के साथ जाने की अनुमति प्रदान कर दी।