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अंशकालिक शिक्षकों का मानदेय बढ़ाने की होगी मांग

लखनऊ। राज्य सरकार केंद्र से कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) के 2972 अंशकालिक शिक्षक

By Edited By: Published: Sat, 25 Oct 2014 09:47 PM (IST)Updated: Sat, 25 Oct 2014 09:47 PM (IST)
अंशकालिक शिक्षकों का मानदेय बढ़ाने की होगी मांग

लखनऊ। राज्य सरकार केंद्र से कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) के 2972 अंशकालिक शिक्षकों का मानदेय बढ़ाकर पहले की तरह 7200 रुपये प्रति माह करने की मांग करेगी। इस बारे में सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना कार्यालय ने शासन को प्रस्ताव भेज दिया है। मुख्य सचिव की ओर से केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अंशकालिक शिक्षकों को पहले की तरह मानदेय दिये जाने के लिए अतिरिक्त बजट की मांग की जाएगी।

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प्रदेश में 746 केजीबीवी संचालित है। प्रत्येक केजीबीवी में एक वार्डेन के अलावा चार पूर्णकालिक और चार अंशकालिक शिक्षक हैं। केंद्र सरकार ने 2008 में केजीबीवी स्टाफ के मानदेय के लिए सालाना 12 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत की थी। इसके आधार पर राज्य सरकार ने वार्डेन के लिए हर महीने 11000 रुपये, पूर्णकालिक शिक्षक के लिए 9200 रुपये और अंशकालिक शिक्षक के लिए 7200 रुपये मानदेय तय किया था। 24 अक्टूबर 2014 को केंद्र सरकार ने पत्र भेजकर वार्डेन का मानदेय बढ़ाकर 25000 रुपये और पूर्णकालिक शिक्षक का 20000 रुपये प्रतिमाह कर दिया। वहीं अंशकालिक शिक्षकों का मानदेय घटाकर 5000 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया। मानदेय कम किये जाने से नाराज अंशकालिक शिक्षक जिलों में धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर केजीबीवी पार्ट टाइम टीचर्स संघर्ष मोर्चा की ओर से भी जिलों में प्रत्यावेदन दिये जा रहे हैं।

मानदेय घटाये जाने के खिलाफ अंशकालिक शिक्षकों ने हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है। एक रिट याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अंशकालिक शिक्षकों को पूर्व की भांति मानदेय देने का आदेश दिया है। इस मामले में केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को भी प्रतिपक्षी बनाया गया है। चूंकि केंद्र सरकार ने अंशकालिक शिक्षकों का मानदेय 5000 रुपये ही बरकरार रखा है, इसलिए अदालत के आदेश के क्रम में यह अवमानना का मामला भी बन गया है। अंशकालिक शिक्षकों को हर महीने 7200 रुपये मानदेय का भुगतान करने के लिए राज्य सरकार केंद्र से प्रतिमाह प्रति शिक्षक 2200 रुपये की दर से हर साल 26400 रुपये के हिसाब से 7.84 करोड़ रुपये अतिरिक्त धनराशि की मांग करेगी।


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