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न घर के रहे न घाट के अजित सिंह

लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख अजित सिंह की दो नावों में सवार होने की कोशि

By Edited By: Published: Fri, 07 Nov 2014 10:46 AM (IST)Updated: Fri, 07 Nov 2014 10:46 AM (IST)
न घर के रहे न घाट के अजित सिंह

लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख अजित सिंह की दो नावों में सवार होने की कोशिश उनके लिए नुकसानदेह साबित हुई। उनको राज्यसभा प्रवेश का अवसर हाथ नहीं लग सका।

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कांग्रेस हाईकमान ने रालोद के दावे को नकारकर दलित कार्ड चल पूर्व सांसद पीएन पुनिया को मैदान में उतार दिया है। इस फैसले पर दुविधा में फंसा रालोद नेतृत्व फिलवक्त मौन साधे है। आठ विधायकों वाले रालोद की भूमिका तब असरकारक होगी जब कोई 11वां उम्मीदवार चुनाव में उतरे। सूत्रों का कहना है, सपा से नजदीकियां बढ़ाने की कीमत रालोद प्रमुख अजित सिंह को राज्यसभा में प्रवेश का मौका गंवा कर चुकानी पड़ी। कांग्रेस का एक बड़ा खेमा रालोद से दोस्ती के खिलाफ रहा है।

विधानसभा और लोकसभा चुनाव में रालोद से गठबंधन का कांग्रेस को लाभ नहीं मिला। जाट आरक्षण की घोषणा कराने का कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा। गैर जाटों के अलावा कांग्रेस के परंपरागत मुस्लिम वोट भी हाथ से खिसक गए। पूर्व प्रदेशाध्यक्ष का दावा है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में जाट- मुस्लिम टकराव का नुकसान कांग्रेस को झेलना पड़ा। गठबंधन की डोर उपचुनाव में और कमजोर हो गई। रालोद ने अपने उम्मीदवार मैदान में न उतारकर सपा को ताकत देने का काम किया था। ऐसे में 28 विधायकों वाली कांग्रेस द्वारा रालोद को ताकत देने का कोई मतलब नहीं होता।

मेरठ रैली ने बढ़ा दी दूरियां

दिल्ली में 12 तुगलक रोड़ आवास खाली हो जाने के विरोध में 12 अक्टूबर को मेरठ में रालोद की स्वाभिमान रैली के बाद कांग्रेस से फासले बढ़े। दरअसल भाजपा विरोधी माहौल बनाने के फेर में रालोद के मंच पर जनता दल का पुराना कुनबा जमा। सपा की ओर से सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव मौजूद थे जबकि कांग्रेस का प्रतिनिधित्व नाम मात्र का रहा। सूत्रों का मानना है कि कांग्रेस कमजोर होते देख रालोद ने सपा से नजदीकी बढ़ानी शुरू की है। गत डेढ़ माह में रालोद महासचिव जयंत चौधरी की मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से दो मुलाकात होने को नयी दोस्ती की शुरुआत माना जा रहा था। रालोद नेतृत्व को भरोसा था कि सपा के अतिरिक्त वोटों का लाभ राज्यसभा चुनाव में मिल सकेगा, पर ऐसी नौबत ही नहीं आई।


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