सरकारी लोगो लगाने पर विद्या प्रकाशन पर मुकदमा
उत्तर प्रदेश लेखपाल भर्ती की तैयारी कराने वाली किताब पर उप्र सरकार का लोगो इस्तेमाल करना प्रकाशक पर भारी पड़ा है। प्रशासन ने इसे गैरकानूनी मानते हुए प्रकाशक पर एफआइआर दर्ज कराई है। हालांकि मुकदमा लेखपाल परीक्षा से संबंधित गाइड बुक को लेकर दर्ज कराया गया है, लेकिन प्रकाशन इससे
लखनऊ। उत्तर प्रदेश लेखपाल भर्ती की तैयारी कराने वाली किताब पर उप्र सरकार का लोगो इस्तेमाल करना प्रकाशक पर भारी पड़ा है। प्रशासन ने इसे गैरकानूनी मानते हुए प्रकाशक पर एफआइआर दर्ज कराई है। हालांकि मुकदमा लेखपाल परीक्षा से संबंधित गाइड बुक को लेकर दर्ज कराया गया है, लेकिन प्रकाशन इससे पहले अन्य तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं पर भी सरकारी लोगो लगाया गया है, लेकिन शिक्षा विभाग इसका कभी भी संज्ञान नहीं लेता है। यूपी बोर्ड की पाठ्य पुस्तकों को लेकर भी मेरठ के कई प्रकाशन संस्थान अनाधिकृत तरीके से किताब छापने के घेरे में रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में जिलेवार लेखपाल भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। प्रदेश सरकार ने भर्ती के लिए कोई अधिकृत किताब या सामग्री नहीं दिया है। विद्या प्रकाशक की ओर से यूपी सरकार का लोगो लगाकर लेखपाल भर्ती गाइड छपवाई गई। किताबें छपने और बाजार में बिकने का मामला सार्वजनिक होने के बाद से प्रशासन हरकत में आ गया। कमिश्नर के आदेश पर जिला विद्यालय निरीक्षक ने प्रकाशक के खिलाफ नोटिस जारी किया है। जिसके चलते विद्या प्रकाशन ने अपनी किताबों को बाजार से वापस मंगाना शुरू कर दिया है।
कई धाराओं में बनता है : सच संस्था के संस्थापक संदीप पहल का कहना है कि इस तरह के मामले में 120 षडय़ंत्र रचने और उसके बाद 420, 465, 466, 467, 468, 469, 470, 471 फर्जी दस्तावेजों के तहत मुकदमें दर्ज होते हैं। संदीप पहल ने भी अपनी ओर से विद्या प्रकाशन के खिलाफ जानी थाने में अपनी किताबों पर सरकार का लोगो इस्तेमाल करने को लेकर तहरीर दी है।
इस मामले में एडीआइओएस पीके मिश्रा ने रिपोर्ट दर्ज करा दी है, प्रकाशन की ओर से बिना अनुमति के प्रदेश सरकार के लोगो का इस्तेमाल किया जा रहा था, जो गैरकानूनी है, बुधवार को प्रकाशक को 24 घंटे में जवाब देने के लिए नोटिस दिया गया था, लेकिन प्रकाशक ने जवाब नहीं दिया, जिसकी वजह से एफआइआर दर्ज कराई गई है।
वीपी सेठी, संपादक, विद्या प्रकाशन लेखपाल भर्ती की ये किताबों का लोगो डिजाइनर की गलती से छप गई। मुश्किल से पांच सौ किताबों का सैंपल दुकानों को भेजा गया था, लेकिन जैसे ही इसकी सूचना आई उन किताबों को वापस मंगा लिया गया। जिला विद्यालय निरीक्षक को लिखित रूप से इसकी सूचना भी दे दी गई है।